ओलंपिक खेलों की खबर कब लोगे?

Olympic Games 2021

ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पहले टेस्ट में मिली हार पर भारतीय मीडिया ने यूं तो ज्यादा हुड़दंग नहीं मचाया लेकिन टीम प्रबंधन और टीम की ताकत और योग्यता पर सवाल जरूर खड़े किए जाने लगे हैं। कुछ एक्सपर्ट्स  कह रहे  हैं कि कहीं न कहीं कोहली की कप्तानी के दिन पूरे हो गए हैं।   

पहली पारी में बड़ा स्कोर बनाने वाली टीम जब दूसरी पारी में 36 पर ढेर हुई तो तो देश के कुछ तथाकथित क्रिकेट पंडित   कहने लगे हैं कि टीम इंडिया में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। टीम प्रबंधन और कप्तान के बीच के संबंधों को लेकर भी उंगली उठाई जा रही है। जीत जाओ तो सब ठीक और एक हार पर बवाल मचाने वाले हमारे विशेषज्ञ पत्रकारों ने जितना हो हुल्लड़ क्रिकेट टीम की हार पर मचाया है उसका एक प्रतिशत योगदान बाकी खेलों पर न्योछावर कर पाते तो आज भारत एक बड़ी खेल शक्ति बन जाता, एक जाने माने ओलंपियन के अनुसार भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक में इसलिए भी पिछड़े हैं क्योंकि मीडिया उनकी और उनके खेल आकों की ख़बर नहीं लेता। 

कुछ माह पहले जब क्लीन बोल्ड ने देश के जाने माने ओलम्पियनों से जानना  चाहा कि भारत ओलंपिक में क्यों पिछड़ा है? जवाब में उन्होंने सवाल दाग दिया और पूछा, देश के पत्रकार यह सब पूछने के हकदार क्यों हैं? उन्हें बाकी खेलों की  याद तब ही आती है जब क्रिकेट से ऊब जाते हैं या जब ओलम्पिम या एशियाड नजदीक आते हैं।  कुछ जाने माने खिलाड़ियों ने तो यहां तक आरोप लगा  दिए कि भारतीय मीडिया को ओलंपिक खेलों को समझने और कवर करने की तमीज तक  नहीं है। 

देश के कई नामी खिलाड़ी उन मीडियाकर्मियों और खेल पत्रकारों से बेहद नाराज हैं जोकि साल के ग्यारह महीने क्रिकेट की चाकरी करते हैं और  पंद्रह दिन  ओलंपिक खेलों को देने की एवज में ढेरों पदकों की उम्मीद करते हैं। एक जाने माने मुक्केबाज के अनुसार भारत में खेल पत्रकारिता के मायने सिर्फ क्रिकेट का स्तुति गान है। जीते तो पागलों सा  व्यवहार करते हैं और हार गए तो जैसे किसी अपने का मातम मना  रहे हों।  ऐसा इसलिए है क्योंकि खेलों को कवर करने वालों में से ज्यादातर ने कभी खेल नहीं खेला होता।  उन्हें ओलंपिक खेलों का दर्द  कहां से पता चलेगा? वे तो मदारी की तरह दुदुगीबजा कर बाकी खेलों को नचाने पर लगे हैं और डोर क्रिकेट को थमा रखी है। 

क्रिकेट का  गुणगान  करने वाले मीडिया से ओलंपिक खेलों में शामिल खेल यह जानना चाहते हैं कि टोक्यो ओलंपिक के लिए वह कितना तैयार है। यह सही है कि भारतीय खेल बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। खेलों को संचालित आने वाली फेडरेशन, भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्रालय की तैयारी भी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन यदि मीडिया तैयार होता और क्रिकेट की तरह अन्य खेलों की भी खबर लेता तो शायद भारत ओलंपिक में बड़ी ताकत बन सकता था। यह न भूलें कि स्थगित ओलंपिक खेलों के आयोजन।के लिए चंद महीने बचे हैं। सभी देशों के खिलाड़ी जोर शोर से तैयारी में लग गए हैं लेकिन भारतीय खिलाड़ियों और अधिकारियों की तरह मीडिया को भी फुरसत नहीं है। उसे क्रिकेट टीम की हार पर चीरफाड़  भी तो करनी है। क्रिकेट का मातम मनाने वालों को ओलंपिक खेलों के लिए कुछ घड़ियाली आंसू बचा कर रखने होंगे।

Rajender Sajwan

Rajender Sajwan
Senior, Sports Journalist

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