जब ‘खेल का नशा’ सर चढ़ कर बोलेगा तब पंजाब का दिल डोलेगा!

Sports is the only solution of Punjab problem

पंजाब की नई सरकार के नवनिर्वाचित मुख्य मंत्री भगवत मान ने शपथ ग्रहण समारोह के चलते प्रदेश की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब को नशामुक्त प्रदेश बनाने की है। हालांकि उन्होंने और भी बहुत से वादे किए लेकिन क्योंकि पंजाब में नशाखोरी अपने चरम पर है और पंजाब का युवा भटक गया है इसलिए शुरुआत उनको फिर से मुख्य धारा के साथ जोड़ने और नई सोच के साथ आगे बढाने की है।

आम भारतीय खेल प्रेमी जानते हैं कि कभी पंजाब भारतीय खेलों का सरताज था। हर खेल में पंजाब की तूती बोलती थी। एथलेटिक, फुटबाल, हॉकी कुश्ती, मुक्केबाजी, बॉडी बिल्डिंग, क्रिकेट आदि खेलों में पंजाबी खिलाडियों ने देश का मान सम्मान बढाने में बड़ी भूमिका निभाई। आज़ाद भारत के महानतम हॉकी खिलाडी बलबीर सिंह, अजित पाल सिंह, राजबीर कौर राय और सैकड़ों अन्य ने भारत को चैम्पियन हॉकी राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संसारपुर गांव अपने महान हॉकी खिलाडियों के कारण विश्व प्रसिद्ध हुआ। फुटबाल में इन्दर सिंह, जरनैल सिंह और कई अन्य ने खूब नाम कमाया।

सरदार मिल्खा सिंह और सैकड़ों अन्य पंजाबी एथलीटों ने भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक और पहचान दिलाई तो मिस्टर यूनिवर्स बॉडी बिल्डर प्रेम चंद डेगरा भी इसी प्रदेश की देन रहे हैं। एशियाई खेलों के दो स्वर्ण पदक जीतने वाले महान पहलवान करतार सिंह और दर्जनों अन्य पंजाब की शान रहे। कुल मिला कर जब कभी राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किया गया तो इस प्रदेश के खिलाडियों ने अपना कद ऊंचा बनाए रखा।

लेकिन पिछले कुछ सालों में पंजाब कहाँ से कहाँ पहुँच गया है, जग जाहिर है। उसके युवा इसलिए नशाखोरी में पड़ गए क्योंकि उनकी रूचि खेलों में काम होती चली गई। भले ही आज भी पंजाब के खिलाडी हॉकी और कुछ एक खेलों में पहचान बनाए हैं लेकिन अब सैकड़ों हज़ारों की तादात में खिलाडियों की फौजें नजर नहीं आतीं। बेशक, सरकारी निकम्मेपन और विदेशी पैसे ने उन्हें बर्बाद किया हो लेकिन नई सरकार यदि पंजाब के खेलों को फिर से जिन्दा कर पाई और युवाओं को खेल मैदानों में ले जाने में कामयाब रही तो वह सही मायने में सरदार भगत सिंह के सपने को साकार कर पाएगी।

भले ही खेलों में कई तरह के नशे घुल मिल गए हैं, दुनियाभर में खिलाडी प्रतिबंधित दवाओं के सेवन से पदक जीतने की भूख मिटा रहे हैं लेकिन जो पीढ़ी बिना किसी उदेश्य के नशाखोरी से जुड़ रही है उसे खेल मैदानों में उतारने की जरुरत है।
खेल का नशा उन्हें सही राह तो दिखायेगा ही उन्हें ओलम्पिक और विश्व विजेता भी बनाएगा। उनमें से कई एक भगत सिंह बनकर उभरेंगे या उनके सपने को साकार करेंगे।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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