दिल्ली में आयोजित 2010 के कामनवेल्थ खेलों में मेजबान भारतीय खिलाड़ियों ने सर्वाधिक पदक जीते थे। पिछले एशियाई खेलों में भी हमारे खिलाड़ी सफल रहे। एक बार फिर कामनवेल्थ खेल और एशियाड चंद हफ्तों के अंतर में आयोजित किए जाने हैं। हमारे खिलाड़ियों ने टोक्यो ओलंम्पिक में शानदार प्रदर्शन कर उम्मीद जगाई है। देखना यह होगा कि 2022 में कहाँ तक खरे उतरते हैं।
बेशक, ओलंम्पिक गोल्ड विजेता नीरज चोपड़ा की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। उन्होंने पहला टारगेट 90 मीटर की थ्रो का रखा है। ज़ाहिर है नीरज कुछ बड़ा करने जा रहे हैं।
कुश्ती में भारतीय पहलवान लगातार सभी आयोजनों में पदक जीत रहे हैं । रवि दहिया और बजरंग पूनिया के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य एशियाड और ओलम्पिक तो हैं ही, विश्व चैम्पियनशिप में भी उनके पदक जीतने की उम्मीद की जा सकती है लेकिन महिला पहलवानों ने टोक्यो ओलम्पिक में निराश किया। अब उन्हें अपना दमखम दिखाने का मौका है। खासकर, विनेश फोगाट को लेकर अटकलबाजियां लगाई जा रही हैं कि उसका श्रेष्ठ पीछे छूट गया है। यदि विनेश ने नए साल की चुनौती को पार क़र लिया तो वह एक और प्रयास क़र ओलम्पिक पदक अपने नाम क़र सकती है। अन्य लड़कियों को भी इस साल की कमाई से पेरिस की फसल काटनी है। उन्हें भी तैयार रहना होगा।
ओलम्पिक पदक विजेता लवलीना को अपने वर्ग में उभरती मुक्केबाज अरुंधति से निपटना पड़ सकता है लेकिन मैरीकॉम कब रिंग से हटेंगी इस बारे में कुछ भी नहीं खा जा सकता। ज्यादातर खेल प्रेमी अपनी चैम्पियन मुक्केबाज को अब और हारते नहीं देखना चाहते । लेकिन मेरी को सन्यास के लिए राजी करना इतना आसान नहीं होने वाला। जहाँ तक पुरुष मुक्केबाजों की बात है तो वे नये साल में अपने पुराने पाप धो सकते हैं। जी हाँ, गरीब जनता और भ्र्ष्टाचार में डूबे देश का करोड़ों बर्बाद करना पाप समान ही है । इस गुनाह में देश के तमाम निशानेबाज, उनके कर्णधार , कोच, गाड़ फादर भी शामिल हैं। यह न भूलें की निशानेबाजी, वेटलिफ्टिंग और मुक्केबाजी को आईओसी टेढ़ी नजर से देख रही है।
हॉकी में ओलम्पिक कांस्य पदक जीतने वाले भारतीय पुरुषों की पोल जापान और फ़्रांस के जूनियर खोल चुके हैं। महिलाओं से भी उम्मीद की जा सकती है।फिरभी एशियाड और कॉमनवेल्थ में मुकाबले आसान नहीं होंगे। बैडमिंटन में पीवी सिंधु के पास कुछ और खिताब बटोरने का मौका है तो तीरंदाज लगातार विफलताओं के बाद अपनी फजीहत रोक सकते हैं। अन्य खेलों में पदक बटोरने के अवसर रहेंगे, क्योंकि कामनवेल्थ खेलों का स्तर जगजाहिर है। देखना यह होगा की हमारे खिलाडी ओलम्पिक के बाद पदक लूटते हैं या प्रतिष्ठा लुटाते हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |