किडनी से जुड़ी बीमारियां बढ़ा सकती है मानसिक खतरा

वर्ल्ड किडनी डे

दुनियाभर में मार्च के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में किडनी की बीमारियों को लेकर सतर्क करना है। साल 2024 में किडनी डे की थीम है किडनी हेल्थ फॉर ऑल। इस थीम का उद्देश्य हर बैकग्राउंड और लोगों तक किडनी को हेल्दी बनाए रखने के लिए जरूरी दवाओं और सुविधाओं को पहुंचना है। साथ ही, स्वस्थ किडनी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और किडनी से संबंधित बीमारियों को रोकना।

क्या है किडनी रोग-मानसिक स्वास्थ्य का कनेक्शन ?

क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) में किडनी की कार्यक्षमता को धीरे-धीरे कम होने लगती है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि जिन लोगों को किडनी की बीमारी होती है और लंबे समय तक बनी रहती है उनमें संभावित रूप से अवसाद और चिंता जैसी समस्याएं हो सकती है। शुरुआती चरणों में, सीकेडी अक्सर कोई लक्षण पैदा नहीं करता है। हालांकि समय के साथ रोगी में उच्च रक्तचाप और सूजन जैसे लक्षण विकसित हो सकते हैं। सीकेडी न सिर्फ किडनी की विफलता का कारण बन सकती है, साथ ही इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा रहता है। सीकेडी की स्थिति किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकती है।

■ साल 2021 में अध्ययनों की समीक्षा में पाया गया कि सीकेडी वाले 19% लोगों ने भी चिंता विकारों का अनुभव किया।

■ किडनी डिजीज वाले लोगों में मानसिक बीमारी विकसित होने के कई कारण हो सकते हैं।

■ किडनी रोगियों में मानसिक स्वास्थ्य विकारों के प्रमुख कारण- रोग उपचार पर होने वाला अधिक खर्च, जीवनशैली या कामकाजी जीवन पर प्रतिबंध, सीकेडी के लक्षणों और जटिलताओं के साथ रहने और स्वास्थ्य या भविष्य के बारे में अनिश्चितता की स्थिति शामिल है।

■ किडनी का उपचाप दीर्घकालिक होता है, नियमित रूप से इसपर होने वाला खर्च रोगियों को परेशान करने वाला हो सकता है, ऊपर से रोगी, काफी हद तक परिवार या अन्य सदस्यों पर निर्भर हो जाता है जो कुछ स्थितियों में अपराधबोध का भाव पैदा करने वाली स्थिति हो सकती है।

धूम्रपान से किडनी पर पड़ने वाला प्रभाव – कैसे करें कंट्रोल।

“धूम्रपान और किडनी हेल्थ के बीच गहरा संबंध है, धूम्रपान को धीरे-धीरे किडनी डैमेज में बड़े कारक के रूप में पहचाना जाता है”। धूम्रपान हाई ब्लड प्रेशर के लिए एक बड़ा रिस्क फैक्टर है, जो किडनी फेलियर के मुख्य कारणों में से एक है। धूम्रपान किडनी की ब्लड वेसल्स को सिकोड़ सकता है, जिससे ब्लड फ्लो में बाधा आती है। धूम्रपान से होने वाली किडनी की समस्याएं –

● हाई ब्लड प्रेशर।
● किडनी की ब्लड वेसेल्स का सिकुड़ना।
● सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस।
● क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) का तेज होना।
● किडनी कैंसर।

साथ ही, धूम्रपान छोड़ना आपकी ऑलओवर हेल्थ और वेलबीइंग के लिए जरूरी है, जिन लोगों को पहले से किडनी की समस्या है, उन्हें तुरंत इसे छोड़ने पर ध्यान देना चाहिए। निकोटीन गम, पैच या लोजेंज की मदद से निकोटीन निर्भरता को धीरे-धीरे कम करें। रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी और स्ट्रेस कम करने की तकनीकों को शामिल करें और बेहतर हेल्थ के लिए बैलेंस डाइट लें।

धूम्रपान छोड़ने में मदद करने वाले कारक

● बिहेवियर सपोर्ट।
● निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी।
● किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।
● लाइफस्टाइल में बदलाव।

ब्लड प्रेशर-शुगर को रखें कंट्रोल

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किडनी बीमारियों के शिकार सभी लोगों को उन उपायों पर गंभीरता से ध्यान देते रहना जरूरी है जिससे इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सके। विशेषतौर पर जिन लोगों को पहले से डायबिटीज या हार्ट की बीमारी है उन्हें इन स्थितियों को नियंत्रित रखना चाहिए। हाई ब्लड शुगर या ब्लड प्रेशर को किडनी की बीमारियों को बढ़ाने वाला पाया गया है। किडनी के इलाज के साथ डॉक्टर्स को रोगी के लक्षणों पर ध्यान देते हुए उन्हें आवश्यकता होने पर मनोचिकित्सा के लिए भी सुझाव देना चाहिए।
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