वक्त का पंछी उड़ता ही जाए
गुजरे लम्हों की याद दिलाए
बीत गया ये साल कुछ ऐसे
पलक यूँ ही झपकी हो जैसे
कुछ फिसली ज़िंदगी हाथों से
कुछ मन बहला उनकी बातों से
कुछ फूल गिरे बंजर शाख़ों से
कुछ मिली चुभन हमको कांटों से
मरुस्थल का सूनापन हो जैसे
बीत गया ये साल कुछ ऐसे
कुछ लोग हुए ओझल आँखों से
कुछ शिशु जन्मे नई सांसों से
कुछ जवां भटके सभ्य राहों से
कुछ मीत दूर हुए अपनी बाहों से
ग़म और ख़ुशी दो किनारे हो जैसे
बीत गया ये साल कुछ ऐसे
कुछ को रूपहले पल मिल गए
कुछ के चेहरे बरबस बदल गए
कुछ ने अपना मनसब यूँ खोया
कुछ गिरे अधर में फिर संभल गए
बादल उमड़े पर बरसे ना जैसे
बीत गया ये साल कुछ ऐसे
भूल जायँ कोविड की खट्टास
अच्छे दिनो की ना छोड़ें आस
श्री कृष्ण का रखें हर पल आभास
श्री राम का हो कणकण में आवास
प्यार का गीत चहू ओर हो जैसे
नए साल काआग़ाज़ करोकुछ ऐसे
नूर की आप पर हो खूब बारिश रहमतबरसे निरंतरबस ये गुज़ारिश
आमिक्रान की न हो कोई साज़िश
दौलत की हो आप पर तापिश
फूल खिले ग़ुले-गुलशन में जैसे
नया साल आपके लिए आए ऐसे
वक्त का पंछी उड़ता ही जाए
गुजरे लम्हों की याद दिलाए
बीत गया ये साल कुछ ऐसे
पलक यूँ ही झपकी हो जैसे |
नया साल मुबारक हो और ईश्वर करें ये साल आप के लिए ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ लाए।
सुनील की कलम से
Sunil Kapoor |