कुछ महीने पहले तक भारतीय कुश्ती में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। पहलवान एशियाई खेलों और पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में व्यस्त थे। कुश्ती फेडरेशन अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह की वाह वाह हो रही थी और अध्यक्ष महोदय और छह बार के सांसद गोंडा के ब्रज भूषण शरण सिंह फेडरेशन अधिकारियों , कोचों और पहलवानों पर खूब गरज बरस रहे थे ; जूनियर पहलवानों को सरे आम स्टेज पर थप्पड़ जमा रहे थे। लेकिन देर से ही सही वक्त ने करवट बदली और आज श्रीमानजी पहलवानो की आंख की किरकिरी बने हुए हैं।
पूरा देश और दुनिया जान चुके हैं कि पहलवान क्यों बगावत पर उतरे हैं और क्यों अपने अध्यक्ष को कठोर से कठोर सजा देने की मांग कर रहे हैं । इसलिए चूँकि उन पर अपनी बेटी समान पहलवानों के यौन शोषण का आरोप लगे हैं | लेकिन अभी दूध का दूध होना बाकी है । दोषी हैं या नहीं इसका फैसला होना है। लेकिन जो पहलवान कभी अपने अध्यक्ष को कुश्ती का खुदा कहते नहीं थकते थे उनका आक्रोश बुरी तरह फूटा है । ओलम्पिक पदक विजेता साक्षी मलिक , बजरंग पूनिया , ढेरों बड़े पदक जीतने वाली विनेश फोगाट और अनेकों महिला और पुरुष पहलवानों , कोचों और कुश्ती प्रेमियों ने ब्रज भूषण के विरुद्ध जिस जंग का एलान किया था उसका फैसला अभी होना है । फिलहाल पहला बड़ा पड़ाव 15 जून को माना जा रहा है। पुलिस ने पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों पर चार्जशीट तैयार कर ली है, जिसे कोर्ट को सौंपा जाएगा।
इसमें दो राय नहीं कि ब्रजभूषण के अध्यक्ष बनने के बाद से भारतीय कुश्ती ने अनेकों ऊँचे मुकाम हासिल किए , भारतीय पहलवानों ने ओलम्पिक पदक जीतने का सिलसिला शुरू किया लेकिन परदे के पीछे चल रहे खेल ने पूरे देश को हिला कर रख दिया । सात लड़कियों ने अपने अध्यक्ष पर यौन शोषण के आरोप लगा कर खेल जगत को सन्न कर दिया है । उस समय जबकि ब्रज भूषण कुश्ती फेडरेशन को घर की खेती बनाने पर तुले थे और तीन कार्यकाल पूरे करने के बाद अपने परिवार के किसी सदस्य को कुर्सी सौंपने की फिराक में थे , खेल बिगड़ गया।
माना जा रहा है कि पुलिस की चार्ज शीट में पहलवानों के पक्ष में कुछ खास नहीं होने वाला । अर्थात उन्हें फिर से सड़क पर उतरना पड़ सकता है।
देश के खेल मंत्रालय और उसकी जांच समिति की पहलवान पहले ही निंदा कर चुके हैं। खेल मंत्री को पहलवानों ने झूठा करार दिया तो आइओए अध्यक्ष पीटी उषा की टिप्पणी की जमकर आलोचना की गई थी। जांच समिति की अध्यक्ष जानी मानी मुक्केबाज मेरीकॉम भी पहलवानों की आदरणीय नहीं रहीं । भले ही यह लड़ाई पहलवानों और उनके अध्यक्ष के बीच की नज़र आती है लेकिन अब फ्री फॉर आल हो चुका है | सरकार और विपक्ष पहलवानों के अखाड़े में कूद पड़े हैं। कोई इसे हरियाणा और यूपी के बीच नाक की लड़ाई बता रहा है तो कुछ एक दलगत और जातिगत टकराव कह रहे है । फिलहाल गेंद पुलिस के पाले में है और बल्ला शायद ब्रज भूषण के हाथ में ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |