दिल्ली में कंझावला मामले के बाद एक बार पुनः सवाल यह उठता है कि महिलाओं के लिए राजधानी कितनी सुरक्षित है? इस पूरे मामले में मात्र सीसीटीवी कैमरे के अलावा ऐसा कोई इंतजाम देखने को नहीं मिलता, जिससे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. परंतु इस गंभीर मामले के पश्चात नोएडा में अथॉरिटी ने शहर के 76 लोकेशन पर एसओएस (S.O.S) इमरजेंसी बॉक्स लगाएं हैं. साथ ही बताया गया है कि इस बॉक्स के माध्यम से कोई भी व्यक्ति किसी भी समय किसी भी समस्या में जल्द से जल्द मदद की गुहार लगा सकता है.
यह मशीन काम कैसे करती है?
गौरतलब है कि नोएडा के 76 लोकेशन पर इन बॉक्स को ट्रैफिक लाइट की पोल में लगाया गया है, जिससे यदि किसी व्यक्ति को सड़क पर चलते – चलते किसी प्रकार की कोई सहायता चाहिए, जैसे कि यदि किसी का एक्सीडेंट हो जाए, या फिर किसी की अचानक तबियत खराब हो जाए, कुछ भी समस्या हो, तो वह उसी क्षण बॉक्स में बने “HELP” बटन को दबाएगा तो वह सीधे कमांड कंट्रोल रूम में बैठे ऑपरेटर से कनेक्ट हो जाएगा और बॉक्स के स्पीकर से पीड़ित व्यक्ति ऑपरेटर से बात कर पाएगा. उसके पश्चात उनसे पूछा जाएगा कि आपको किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है? और पीड़ित से बात कर कमांड कंट्रोल रूम का ऑपरेटर सीधे उस इलाके में तैनात पुलिसकर्मी को फोन करेगा और इस प्रकार पीड़ित तक सहायता पहुंच जाएगी.
नोएडा अथॉरिटी के एसओएस (S.O.S) इमरजेंसी बॉक्स का एक ट्रायल लिया गया, जिसमें नोएडा के सेक्टर – 25 के चौराहे पर जहां यह बॉक्स पूरी तरह अपना काम करने में सफल नज़र आई, वहीं दूसरी तरफ डीएम के घर के पास यह बॉक्स पूरी तरह से बंद मिला. क्योंकि नोएडा सेक्टर – 25 के चौराहे पर जैसे ही “HELP” बटन दबाया गया तुरंत दूसरी तरफ से आवाज आई और कहा गया “कंट्रोल रूम…. मैं आपकी किस तरह से सहायता कर सकता हूं?” कंट्रोल रूम के ऑपरेटर को बताया गया कि एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया है, इसमें आप हमारी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ऑपरेटर ने उत्तर दिया कि वह तुरंत आपको पुलिस से कनेक्ट करवाता है, इसके बाद ट्रैफिक पोल के ऊपर लगे स्पीकर में अनाउंसमेंट होना शुरू हो गया. इसमें से आवाज आती है कि “चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मी ध्यान दें वहां कोई एक्सीडेंट हो गया है कृपया आप वहां पहुंच कर जल्दी चेक कीजिये”. इसके बाद तुरंत एक पुलिसवाला चौराहे के पास पहुंचता है और सामने आकर बातचीत करता है. जब हम उस पुलिसकर्मी से बात कर ही रहे होते हैं कि पुलिसकर्मी के मोबाइल पर कंट्रोल रूम से फोन भी आता है, इस प्रकार सेक्टर – 25 के चौराहे पर एसओएस (S.O.S) इमरजेंसी पूरी तरह से अपना काम करने में सफल दिखाई पड़ी. परंतु वहीं शहर के दूसरे इलाके सेक्टर – 27 में बार – बार बटन दबाने के बावजूद भी एसओएस (S.O.S) बॉक्स से कोई रिस्पांस नहीं आया. चौंकाने की तो बात यह है कि बॉक्स ठीक नोएडा के डीएम के घर के बाहर लगाई गई है.
“लोगों को अभी इस बॉक्स के बारे में अधिक जानकारी नहीं”
बताया जा रहा है यदि यह एसओएस इमरजेंसी बॉक्स ठीक प्रकार से अपना कार्य करें तो यह बहुत ही लाभकारी है. खासकर महिलाओं के सुरक्षा को मध्यनज़र रखते हुए यह काफ़ी कारगर साबित हो सकती है, परंतु इसकी सबसे बड़ी समस्या जो बनीं हुई है वह है कि अभी तक शहर के लोगों को S.O.S इमरजेंसी मशीन के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है, क्योंकि जब इस बॉक्स के आसपास स्थित कुछ महिलाओं से इस बारे में बातचीत की गई और उनसे पूछा गया कि मान लीजिये आपको अभी कोई एमरजेंसी आ जाए या फिर कोई दुर्घटना हो जाए या आपके साथ कोई व्यक्ति छेड़छाड़ कर दे तब आप ऐसी स्थिति में क्या करेंगी? तो सभी का लगभग वही उत्तर आया कि किसी से मदद मांगेंगे या फिर पुलिस को फोन करेंगे. परंतु जब उन्हें इस बॉक्स के बारे में पूरी तरह से जानकारी दी गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी लेकिन यह सुरक्षा के लिहाज से एक अच्छी पहल है.
वहीं नोएडा अथॉरिटी के सीईओ ऋतू महेश्वरी का कहना है कि शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए इस प्रकार की योजना लाई गई है. उनका कहना है कि अभी इस योजना को ज्यादा दिन नहीं हुए हैं इसलिए लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है परंतु जैसे ही लोग धीरे – धीरे इसका इस्तेमाल करेंगे, माउथ टू माउथ पब्लिसिटी करेंगे, इसका इस्तेमाल बढ़ जाएगा. तब लोगों को इसके बारे में अपने – आप जानकारी हो जाएगी. साथ ही कहा गया है कि यह खासकर महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. कुछ स्थानों पर किन्हीं कमियों के बारे में पता लगा है उन्हें जल्द से जल्द ठीक करवाया जाएगा.
Ms. Pooja, |