महिला फुटबाल क्यों पुरुषों से बेहतर स्थिति में है?

Women can play in world cup before men team

अंडर 17 फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप की तैयारी में जुटी भारतीय महिला फुटबाल टीम भले ही इटली से सात गोलों से हार गई और चिली मेक्सिको के विरुद्ध भी उसका प्रदर्शन निराशा जनक रहा लेकिन अनुभव और उपलब्धि के मामले में एक दम कोरी टीम को अभी कुछ और मौके देने की जरूरत है।

हालांकि भारतीय महिला टीम को लगतार सुविधाएं दी जा रही हैं, टीम को विदेशी कोचों के हवाले किया गया है और विदेश दौरों पर भेजा जा रहा है लेकिन यही काफी नहीं है।अभी कुछ और सालों तक इस टीम को सुविधा सम्पन्न बनाया जाना चाहिए। यह न भूलें कि भारत में महिलाओं ने फुटबाल को कुछ साल पहले ही गंभीरता से लेना शुरू किया है।

भले ही भारतीय महिलाओं ने फुटबाल को देर से अपनाया है लेकिन माना यह जा रहा है कि हमारी महिलाएँ पुरुषों से आगे बढ़ रही हैं और आने वाले सालों में उन्हें पीछे छोड़ सकती हैं। हो सकता है महिला टीम लगतार पिछड़ते पुरुषों को बहुत पीछे छोड़ दे।

अपनी मेजबानी में अक्टूबर माहमें खेले जाने वाले फीफा वर्ल्ड कप में भारत को टफ ग्रुप मिला है जिसमें अमेरिका, ब्राजील और मोरोक्को जैसी नामी टीमें शामिल हैं । भारत 11 अक्टूबर को अमेरिका से खेल कर अभियान शुरू करेगा। जर्मनी, नाइजीरिया, चिली, न्यूजीलैंड(ग्रुप बी), स्पेन , चीन, कोलंबिया, मैक्सिको(ग्रुप सी) और जापान, तंजानिया, फ्रांस, कनाडा को ग्रुप डी में स्थान दिया गया है।

जहाँ तक मेजबान टीम के प्रदर्शन की बात है तो खिताब जीतना या पहले चार में स्थान पाना कतई सम्भव नहीं लगता। बतौर मेजबान वर्ल्ड कप खेलने वाले देश के लिए यही काफी रहेगा कि बस एक मैच जीत जाए या बुरी हार न हो। यदि भारतीय टीम प्रबंधन ने मेजबानी के कारण मिली भागीदारी को गंभीरता से लिया तो आने वाले सालों में भारतीय महिला फुटबाल पुरुषों की तुलना में बेहतर कर सकती है। हो सकता है पुरुषोँ से पहले महिला टीम वर्ल्ड कप खेल जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि महिला फुटबाल में अभी प्रतिस्पर्धा अपेक्षाकृत ज्यादा कड़ी नहीं है। एशिया और अफ्रीका के कुछ मुस्लिम देशों में महिला फुटबाल के लिए माहौल नहीं बन पाया है पर यूरोप का दबदबा लगातार बढ़ रहा है।

जहां तक भारतीय पुरुष और महिला टीमों के बीच तुलनात्मक संभावना की बात है तो पुरुष टीम अपना श्रेष्ठ बहुत पीछे छोड़ चुकी है। चार ओलंम्पिक आयोजनों में भाग लेने के अलावा दो एशियाड स्वर्ण भी जीते है। दूसरी तरफ महिलाएं अभी शुरुआती दौर में हैं और उन्हें हर कदम देख कर रखना है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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