राजधानी दिल्ली की हवा एकबार फिर हुई खराब, ग्रैप-3 हुआ लागू

GRP 3

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इस कारण दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप-3 के प्रतिबंध लागू करने का फैसला लिया गया है। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की उप-समिति ने यह फैसला लिया। बता दें, 13 दिसंबर को जारी संशोधित ग्रेप-3 के नियम लागू होंगे। इसे पूरे दिल्ली-एनसीआर में तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

ग्रैप-3 लागू करने की क्या है वजह?

राजधानी में आने वाले दिन में एयर क्वालिटी बहुत खराब श्रेणी में रहने की संभावना है। मंगलवार को को वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रहने की संभावना है। इसके साथ ही आने वाले कुछ दिन में भी एयर क्वालिटी बहुत खराब श्रेणी में रहने की संभावना है। प्रदूषकों के प्रभावी फैलाव के लिए मौसम संबंधी स्थिति प्रतिकूल रहने की संभावना है। ऐसे में अगले 6 दिनों के लिए वायु गुणवत्ता बहुत खराब से खराब श्रेणी में रहने की संभावना है।

एक्यूआई 351 हुआ रिकॉर्ड

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार सोमवार सुबह दिल्ली का एयर इंडेक्स 351 रहा जो बेहद खराब श्रेणी में है। कई इलाकों का एक्यूआई 400 के आसपास रहा। आइक्यूएयर ने सुबह में दिल्ली का एयर इंडेक्स 348 बताया। सीपीसीबी के अनुसार दिल्ली में अभी दो दिन हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में ही रह सकती है।

हाइब्रिड मोड में चलाए जाएंगे स्कूल

संशोधित दिशानिर्देशों के तहत, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में स्कूलों और कॉलेजों को कक्षा 5 तक की कक्षाओं को ग्रैप-3 के तहत हाइब्रिड लर्निंग मॉडल में ट्रांसफर करना आवश्यक है। जहां ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा मौजूद है, वहां छात्रों और उनके पेरेंट्स के पास वर्चुअल लर्निंग का विकल्प चुनने का विकल्प होगा।

इन कार्य पर रहेगी पाबंदी

-पूरे एनसीआर में धूल पैदा करने वाली व वायु प्रदूषण फैलाने वाली सीएंडडी गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध रहेगा।
-बोरिंग और ड्रिलिंग कार्यों सहित खुदाई और भराई के लिए मिट्टी का काम।
-पाइलिंग कार्य, सभी विध्वंस कार्य।
-ओपन ट्रेंच सिस्टम द्वारा सीवर लाइन, पानी की लाइन, ड्रेनेज और इलेक्ट्रिक केबलिंग आदि बिछाना।
-ईंट/चिनाई कार्य।
-प्रमुख वेल्डिंग और गैस-कटिंग कार्य, हालांकि, एमईपी (मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और प्लंबिंग) कार्यों के लिए छोटी वेल्डिंग गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी।
-सड़क निर्माण गतिविधियां और प्रमुख मरम्मत।
-परियोजना स्थलों के भीतर व बाहर कहीं भी सीमेंट, फ्लाई-ऐश, ईंट, रेत, पत्थर आदि जैसी धूल पैदा करने वाली सामग्रियों का स्थानांतरण, लोडिंग/अनलोडिंग।
-कच्ची सड़कों पर निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही।
-विध्वंस अपशिष्ट का कोई भी परिवहन।

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