सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून को लेकर सोमवार को सुनवाई करने वाला है। इस अहम हियरिंग से पहले याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील अब्दुल तल्हा रहमान द्वारा विस्तृत हलफनामे में कहा गया कि केंद्र ने सारा गलत डाटा पेश किया है। बोर्ड ने कहा कि वक्फ पोर्टल परर दिख रही सभी प्रॉपर्टीज 2013 में ही रजिस्टर हो हुई थीं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र के हलफनामे में यह बात न होने पर इसे ‘झूठा हलफनामा’ करार दिया है।
कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों से छेड़छाड़ करने से किया था मना
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि संसद ने यह कानून सोच-समझकर बनाया है। इसलिए बिना सरकार की पूरी बात सुने इसे स्थगित करना उचित नहीं होगा। वहीं, कोर्ट ने केंद्र को कहा कि अगली सुनवाई तक वक्फ संपत्तियों में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाए।
सरकार ने की थी रोक लगाने की अपील
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच से कहा था कि संसद द्वारा उचित विचार-विमर्श के बाद पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले से पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित वक्फ संपत्तियों, जिनमें ‘वक्फ बाय यूजर’ भी शामिल है, को अगली सुनवाई की तारीख तक न तो छेड़ा जाएगा और न ही गैर अधिसूचित किया जाएगा।
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट में AIMPLB ने यह हलफनामा केंद्र द्वारा 25 अप्रैल को 2025 अधिनियम को सही ठहराते हुए एक प्रारंभिक हलफनामा दायर करने के बाद पेश किया है। सरकार ने दावा किया है कि 2013 से पहले कुल वक्फ भूमि, जिसमें स्वतंत्रता-पूर्व युग भी शामिल है, लगभग 18 लाख (1.8 मिलियन) एकड़ थी, जिसमें 2013 और 2024 के बीच अतिरिक्त 20 लाख एकड़ जमीन जोड़ी गई।
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