ओलम्पिक में चौथा स्थान पाने वाली दीपा कर्माकर के संन्यास से भारतीय खेल जगत में हा हाकार मचा है। बेशक, 31 साल की सर्वकालीन श्रेष्ठ जिमनास्ट का प्रदर्शन भारतीय नजरिए से शानदार रहा है लेकिन दुख की बात यह है कि पिछले सौ सालों में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के पास एक भी ओलंपिक पदक विजेता जिम्नास्ट नहीं है। इतना ही नहीं एशियाई खेलों का पदक भी कोई नहीं जीत पाया। यही कारण है की दीपा देश में जिम्नास्टिक की सुपर स्टार आंकी जाती है। हालांकि उस पर डोप में पकड़े जाने का आरोप भी लगा लेकिन उसे और कोच नंदी सिंह को देश के बड़े से बड़ा खेल अवार्ड और अन्य सम्मान मिले।
दीपा बड़े सम्मान की हकदार है लेकिन साथ ही यह भी पता चलता है कि उसके खेल में भारत महान कहां खड़ा है और उसके सन्यास के बाद तो हम जीरो पर आ खड़े हुए हैं।
आमतौर पर दुनिया की चैंपियन जिम्नास्ट 20- 25 साल की उम्र में रिटायर हो जाती हैं लेकिन हमारे मापदंड देश में श्रेष्ठ होने को मान्यता देते हैं। यह हाल अन्य खेलों में भी है। एथलेटिक में मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा के ‘ ओलंपिक फोर्थ’ को सालों साल मान्यता मिलती रही है। भला हो नीरज चोपड़ा का जिसने बैक टू बैक क्रमश गोल्ड और सिल्वर जीत कर भारतीय एथलेटिक का परचम फहराया। सही मायने में वही असल चैंपियन बनकर उभरा है और हर सम्मान का हकदार है। लेकिन एथलेटिक की हालत जिम्नास्टिक जैसी दयनीय नहीं है। तीसरा खेल तैराकी है जिसमे ओलंपिक पदक सदियों दूर भी नजर नहीं आता। एशियाई खेलों में भी हम महा फिसड्डी बन कर रह गए हैं। उक्त तीनों खेलों में ओलंपिक पदकों की बरसात होती है लेकिन अपने चैंपियन पर कोई छींटा तक नहीं पड़ता।
जहांंतक मिल्खा और ऊषा की बात है तो उनकी उपलब्धि से दीपा की तुलना सूरज को दिया दिखाने जैसा है। टीम खेलों में सिर्फ हॉकी ही हमारा खेल सम्मान बचा पाई है। आठ गोल्ड के बाद हाल के दो कांस्य पदकों ने भारतीय हॉकी खिलाड़ियों का कद बढ़ा दिया है। बाकी खेलों में हालत बद से बदतर है। निशानेबाजी में अभिनव बिंद्रा ने सर्वश्रेष्ठ पाया है तो महिलाओं में मनु भाखर नई स्टार बनकर उभरी हैं। लेकिन तीरंदाजी में दीपिका कुमारी ने बस ओलंपिक भागीदारी के रिकार्ड बनाए हैं। तीन ओलंपिक खेल कर भी हार नहीं मान रही। खाली हाथ लौटती हैं लेकिन चौथे ओलंपिक में खेलने का दम भर रही हैं । उसे भी बड़े से बड़े सम्मान मिल चुके हैं।
बैडमिंटन,कुश्ती ,मुक्केबाजी, वेटलिफ्टिंग जैसे खेलों ने भी देश को छुट पुट ओलंपिक पदक विजेता दिए हैं। लेकिन बिना किसी बड़ी उपलब्धि के अन्य खेलों के कम चर्चित खिलाड़ी भी चैंपियनों सा सम्मान कैसे पा जाते हैं?
Rajendar Sajwan
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |