जीरो फुटबॉल को हीरो की तलाश!

rubina francis 96

‘अगला हीरो कौन?’ पिछले कुछ समय से यह विज्ञापन भारतीय खेलों में और खासकर, फुटबॉल हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। देर से ही सही भारतीय फुटबॉल के अगले हीरो की तलाश शुरू हो गई है। तारीफ की बात यह है कि अगले हीरो की तलाश कर रहे विज्ञापन में नीता अंबानी, जॉन अब्राहम, बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु, मनु भाकर, रणबीर कपूर, फुटबॉल स्टार बाईचुंग भूटिया, सुनील क्षेत्री, क्रिकेटर रवि शास्त्री और कुछ अन्य खिलाड़ी नजर आ रहे हैं। लेकिन भारतीय फुटबॉल प्रेमियों को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। कारण, विज्ञापन में दर्शाई गई खेल हस्तियों को भारतीय फुटबॉल की चिंता कतई नहीं है। दरअसल उन्हें ‘इंडियन सुपर लीग (आईएसएल)’ की चिंता है, जो कि शुरू हो चुकी है। विज्ञापन पूछ रहा है कि निहाल, रिकी और किपजेन में से कौन सा अगला हीरो बनेगा या कोई और नाम उभर कर सामने आएगा।
भले ही विज्ञापन आईएसएल से संबंध रखता है लेकिन फुटबॉल को प्रोत्साहन देने के लिए अन्य क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों का एक प्लेटफॉर्म पर आना काबिले तारीफ है। लेकिन फुटबॉल जानकारों और पूर्व खिलाड़ियों के अनुसार 2013 से खेली जा रही लीग के बाद से भारतीय फुटबॉल का तेजी से पतन हुआ है। लगातार हारना और बहानेबाजी भारतीय फुटबाल का चरित्र बन गया है। आईएसएल में में देश के बड़े और पेशेवर क्लब भाग लेते है, जिनके लिए राष्ट्रीय टीम और राष्ट्र के लिए खेलना कभी भी महत्वपूर्ण नहीं रहा। पिछले कुछ सालों में जब कभी एशियाड, वर्ल्ड कप क्वालीफायर और अन्य अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारतीय राष्ट्रीय टीम को आईएसएल के स्टार खिलाड़ियों की जरूरत पड़ी तो क्लबों और एआईएफएफ के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया।

आईएसएल में 13 बड़े क्लब शामिल है, लेकिन देश के पास ग्यारह अच्छे खिलाड़ी नहीं है। कुल मिलाकर यह लीग बूढ़े और विदेशी खिलाड़ियों का अखाड़ा भर है जो कि देश के चंद उद्योगपतियों और पूंजीपतियों द्वारा चलाई जा रही है। सही मायने में फुटबॉल के सुधार और उत्थान की किसी को परवाह नहीं है।
भारतीय फुटबॉल का दुर्भाग्य देखिये कि जब हमारे पास मेवालाल, पीके बनर्जी, सैलेन मन्ना, बलराम डिसूजा, जरनैल सिंह, प्रसून बनर्जी, सुरजीत सेनगुप्ता, रणजीत थापा, इंदर सिंह, मगन सिंह जैसे महान खिलाड़ी थे तब किसी ने उनकी कद्र नहीं की। आज फिसड्डी भारतीय फुटबॉल अगला हीरो खोज रही है, जो कि फिलहाल नजर नहीं आता। नादानों को इतना भी नहीं पता कि फुटबॉल में हर पोजीशन पर ‘हीरो’ चाहिए। वरना एक हीरो को तलाश रहा देश जीरो पर खड़ा रह जाएगा ।

Rajendar Sajwan

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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