……चूंकि कुश्ती में सब ठीक ठाक है!

indian wrestlers 12 medals cwg 2022

कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय पहलवानों ने एक बार फिर फ्रंट से भारतीय दल का नेतृत्व किया और छह स्वर्ण पदकों सहित कुल बारह पदक जीत कर कॉमनवेल्थ देशों में अपना रुतबा बनाए रखा। बजरंग पूनिया,दीपक पूनिया, साक्षी मालिक, रवि दहिया, विनेश फोगाट और नवीन के स्वर्ण पदकों से यह साफ़ हो गया है कि भारतीय कुश्ती सही दिशा में बढ़ रही है और पुरुष पहलवानों के साथ साथ महिलाऐं भी जम कर ताल ठोक रही हैं। तारीफ़ की बात यह है कि ग्लास्गो के पिछले खेलों के मुकाबले भारतीय पहलवान एक स्वर्ण ज्यादा जीत कर ला रहे हैं, जिसके लिए कुश्ती फेडरेशन साधुवाद की पात्र है।

देखा जाए तो किसी भी खेल में खिलाडियों की उपलब्धियां काफी हद तक उस खेल को संचालित और नियंत्रित करने वाली फेडरेशन पर निर्भर करती हैं। देश में ज्यादातर खेल उन लोगों के हाथ में हैं जिनके लिए खेल नेतागिरी चमकाने या व्यक्तिगत स्वार्थ साधने का माध्यम हैं । भले ही कोई माने या ना माने लेकिन कुश्ती फेडरेशन शायद अपना काम बखूबी कर रही है ।

देसी- विदेशी कोचों की सेवाएं लेकर फेडरेशन ने जो तालमेल स्थापित किया है उस पर हमारे पहलवान न सिर्फ खरे उत्तर रहे हैं बल्कि ओलम्पिक, एशियाड, वर्ल्ड चैम्पियनशिप और कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीत रहे हैं। बेशक, कुश्ती ही ऐसा खेल है, जिसमें भारत अग्रणी खेल राष्ट्रों में सम्मान जनक स्थान रखता है। सुशील, योगेश्वर, साक्षी मालिक, रवि दहिया और बजरंग पूनिया के ओलम्पिक पदकों की चमक कुश्ती जगत ने देखी है।

रवि दहिया निर्विवाद श्रेष्ठ हैं और इस सीधे सादे पहलवान में ओलम्पिक स्वर्ण जीतने का माद्दा साफ़ नजर आता है । बजरंग ने ओलम्पिक कांस्य जीतने के बाद बर्मिंघम में अपने पराक्रम को दिखाया तो साक्षी की वापसी सुकून देने वाली है । देश की पहली ओलम्पिक पदक विजेता पहलवान ने फिर से ताल ठोक दी है और उभरती लड़कियों को खबरदार कर दिया है। पता नहीं टोक्यो जाने से पहले और बाद में विनेश क्यों हैरान परेशान रही लेकिन इस पहलवान को कमतर आंकना अपनी और विदेशी पहलवानों की भूल होगी। लगातार तीन कॉमनवेल्थ स्वर्ण जीतने वाली विनेश ग्लास्गो और गोल्डकोस्ट में भी चैम्पियन रह चुकी है। यदि उसकी फार्म लौट आई है और भाग्य ने साथ दिया तो पेरिस ओलम्पिक में उसका और देश का सपना पूरा हो सकता है।

ऐसा नहीं है कि भारत में यही बारह पहलवान हैं जिन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीते हैं इनको अपदस्त करने के लिए हर भार वर्ग में तीन से पांच पहलवान तैयार खड़े हैं। यही पर्तिस्पर्धा और खींच तान जैसे हालात भारतीय कुश्ती को ताकत दे रहे हैं। बेशक, कुश्ती फेडरेशन अपना काम बखूबी कर रही है। कोच और पहलवान भी जानते हैं कि जरा सी चूक उन्हें भारी पड़ सकती है। लेकिन बर्मिंघम में धूम मचाने वाले पहलवान यह भी जान लें कि आगामी एशियाड और पेरिस ओलम्पिक में उन्हें जापान, कोरिया , चीन, रूस, मंगोलिया, ईरान जैसे देशों के महाबलियों से टकराना होगा।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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