पहलवानों के हाथ से ब्रह्मास्त्र फिसला , उपहास के पात्र बने !

Wrestlers lost faith

पहलवानों के यौन शोषण के मामले में फंसे भारतीय कुश्ती फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह को जल्दी ही रहत मिलने वाली है । हो सकता है उन पर लगाए गए सभी आरोप गलत साबित हों और भारतीय खेल इतिहास के सबसे काले खेल अध्याय का पटाक्षेप आरोप लगाने वाले पहलवानों की फ़ज़ीहत के साथ हो । पिछले कुछ महीनों में साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया , विनेश फोगाट और उनके समर्थक पहलवानों ने अपने अध्यक्ष के विरुद्ध जो मोर्चा खोला था उसकी हवा निकलती नज़र आ रही है क्योंकि ब्रज भूषण को जेल की हवा खिलाने पर अड़े पहलवानों के हाथ से ब्रह्मास्त्र फिसल गया है और उलटे उनके शिकार होने की आशंका बढ़ गई है ।

दरअसल , ब्रज भूषण के विरुद्ध धरना प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने आरोप लगाया था कि यौन शोषण की पीड़िताओं में एक नाबालिग पहलवान भी है , जिसको धरना प्रदर्शन से दूर रखा गया । लेकिन अब उसी नाबालिग का पिता कह रहा है कि उसने झूठी शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि उसकी बेटी के साथ अंडर 17 एशियन चैम्पियनशिप की ट्रायल में नाइंसाफी हुई थी , जिस कारण से उसका चयन नहीं हो पाया था । पिता कहता है कि बेटी के साथ भेदभाव के कारण वह गुस्से में आ गया था और झूठी शिकायत कर दी । यह कहानी भले ही गले न उतरे लेकिन इसी एक बयान से ब्रज भूषण का पाक साफ़ बचना लगभग तय हो गया है ।

कुछ पूर्व पहलवानो और खिलाडियों के अनुसार , सम्भवतया आंदोलनकारी पहलवानों को पहले ही पूरी स्क्रिप्ट मिल गई थी और उन्होंने देश के गृह मंत्री और खेल मंत्री के सामने आत्मसमर्पण कर दिया । पहलवानों का ड्यूटी ज्वाइन करना , ब्रज भूषण को गिरफ्तार करने की ज़िद्द त्यागना और साफ़ सुथरे फेडरेशन चुनाव कराने की मांग करना और ब्रज भूषण के परिजनों को चुनावों से दूर रखना उसी स्क्रिप्ट का हिस्सा बताए जा रहे हैं । लेकिन जिस मीडिया और कुश्ती प्रेमियों ने दिन रात पहलवानों को न्याय दिलाने पर लगा दिए , उनकी सारी मेहनत पर तो पानी फिर गया । जो पहलवान जंतर मंतर से सड़कों पर और फिर नई पार्लिमेंट से होते हुए हरिद्वार तक जा पहुंचे उनका असल इरादा अब भी समझ नहीं आ रहा । हां , अब वे वापसी का रास्ता जरूर खोज रहे हैं ।

हैरानी वाली बात यह है कि पहलवानों से एक नाबालिग और उसका पिता थामा नहीं जा सका । पिता ने बयान दे दिया और पहलवानों ने चुप्पी साध ली और चुपचाप लंच बॉक्स उठा कर रेलवे की नौकरी पर निकल पड़े । यदि नाबालिग के पिता के बयान बदलने से कुश्ती का फैसला हो गया है तो भारतीय कुश्ती के इतिहास में बड़े पहलवानों के इस प्रकरण को हमेशा संदेह की नज़र से देखा जाता रहेगा ।

फिलहाल मामला सुलट गया लगता है लेकिन कोई भी इस बारे में खुल कर बोलना नहीं चाहता । कारण , हर एक के स्वार्थ जुड़े हैं । कोई कुश्ती फेडरेशन में घुसना चाहता है तो दूसरा चयन समिति और तमाम बड़े छोटे प्लेटफार्म कब्जाना चाह रहा है । एशियाई खेल और ओलम्पिक सर पर हैं , जिनमें अवसरवादियों के लिए पर्याप्त जुगाड़ उपलब्ध हैं । एक बात तय है कि भारतीय कुश्ती ने कुश्ती प्रेमियों और देशवासियों का विश्वास खो दिया है ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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