महिला हॉकी ने किया शर्मसार,

women hockey

राजेंद्र सजवान, दिल्ली. टोक्टो ओलम्पिक के सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम इस साल होने वाले पेरिस ओलम्पिक से बाहर रहेगी, क्योंकि अपनी मेजबानी, अपने मैदान और अपने दर्शकों के सामने खेले गए ओलम्पिक क्वालीफायर में उसे अमेरिका और फिर जापान जैसी अदना टीमों के सामने घुटने पड़े है। फिलहाल जर्मनी, अमेरिका और जापान को पेरिस का टिकट मिल गया है और भारतीय महिलाओं को अगला ओलम्पिक खेलने के लिए चार साल इंतजार करना पड़ेगा।
महिला टीम को पेरिस का टिकट नहीं मिलना इसलिए अफसोसजनक है, क्योंकि टोक्यो ओलम्पिक में चौथा स्थान पाने वाली इस टीम औऱ खिलाड़ियों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गईं। टीम की विश्व रैंकिंग को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया, लेकिन नतीजा वही रहा, जिसका डर था।
हालांकि टीम कोच, कप्तान, खिलाड़ी और हॉकी इंडिया के बड़बोले घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। भाग्य को कोस रहे हैं और बहाने खोज रहे हैं लेकिन जो हुआ उसका डर पहले से ही था, क्योंकि भारतीय महिला हॉकी महीनों पहले ‘एक्सपोज’ हो चुकी थी। एशियाई खेलों में अपने पूरे दम-खम से उतरने के बावजूद गोल नहीं जीत पाए। नतीजन ओलम्पिक का टिकट नहीं मिल पाया। ग्वांगझू एशियाड में भारतीय खिलाड़ियों ने जमकर पदक लूटे लेकिन महिला हॉकी टीम कसौटी पर खरी नहीं उतर पाई।
भले ही भारतीय हॉकी के कर्णधार कोई भी बहाना बनाए लेकिन विदेशी कोचों पर लाखों-करोड़ों लुटाने का नतीजा सामने हैं। भले ही जर्मनी को कड़ी चुनौती दी और न्यूजीलैंड को हराया। लेकिन अमेरिका और जापान जैसी टीमों से पिटना शर्मनाक ही कहा जाएगा। यह हाल तब है जब टीम प्रबंधन घमंड से कह रहा था कि टीम बस ओलम्पिक का टिकट पाने के लिए उतावली है। एक बार फिर साबित हो गया है कि हमारी महिला हॉकी टीम हर क्षेत्र में कमजोर है। पूर्व ओलम्पियन कह रहे हैं कि भारतीय हॉकी खिलाड़ियों और गोरे कोचों को सिर चढ़ाने की सजा भुगत रही है। यदि सचमुच ऐसा है तो ओलम्पिक टिकट पा चुकी पुरुष टीम भी सावधान रहे।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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