महिला फुटबाल : बड़ी जीत का मज़ाक और लानत

Lal Krishna Advani 2025 01 06T092509.060

मालदीव पर भारतीय महिला फुटबॉल टीम की 14-0 और 11-1 की भारी भरकम जीत का फुटबॉल हलकों में जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। बेशक़, यह हैरानी वाली बात है l जीत पर मज़ाक़ उड़ाना समझ से परे है l दोस्ताना मुकाबलों में मेजबान महिलाओं ने बेहद कमजोर प्रतिद्वंद्वी को भगा-भगा कर छकाया और मनमर्जी के गोल जमाए। इस जीत पर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) फूलकर कुप्पा हो गया और महिला टीम के नवनियुक्त कोच स्वीडन के जोकिम अलेक्जेंडरसन और उनकी टीम की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैँ l लेकिन मीडिया का एक वर्ग और देश के फुटबाल प्रेमी इस जीत को महज तमाशा बता रहा है और अपनी टीम की खिल्ली उड़ा रहा है।

कुछ इस प्रकार के कमेंट पढ़ने को मिल रहे हैं – दमदार जीत लेकिन इस टीम को बांग्लादेश से हमेशा हार मिलती है…. इस जीत के कोई मायने नहीं… क्या यह भारत बनाम ब्राजील था?… मजबूत टीमों के विरुद्ध क्यों नहीं खेलते, हार के डर से?… नेपाल से खेलकर देखो हवा निकल जाएगी…कभी भूटान से खेलकर देखो तो पता चले…ऐसे गोलों और जीत का कोई अर्थ नहीं…यह फुटबॉल की प्रगति नहीं, चीन, वियतनाम, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया से खेलकर देखो तो नानी याद आ जाएगी …

फुटबॉल फेडरेशन से असंतुष्ट और भी बहुत कुछ कह रहे हैँ जिसका उल्लेख नहीं किया जा सकता। लेकिन भारी-भरकम जीत के बावजूद महिला टीम को क्यों कोसा जा रहा है? इसलिए क्योंकि भारतीय फुटबॉल का हाल बेहाल है। पुरुष टीम वर्ष 2024 में एक भी मैच नहीं जीत पाई और फीफा रैंकिंग में धड़ाम से गिरी है। भले ही महिलाओं ने मालदीव पर बड़ी जीत हासिल की लेकिन 69वें रैंक की भारतीय महिलाओं के सामने 163 रैंक की टीम थी। अर्थात शेरनियों के सामने बकरी।
भारतीय फुटबॉल प्रेमी इसलिए नाराज है क्योंकि पुरुषों की तरह महिला फुटबॉल भी संभाले नहीं संभल पा रही है। नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, जैसे फिसड्डी देश भी भारतीय फुटबॉल पर भारी पड़ रहे हैं। यही कारण है कि फुटबॉल से प्यार करने वाले देश में फेडरेशन और उनके खैरख्वाहों का मजाक उड़ाया जा रहा है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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