क्यों प्रधानमंत्री का मौन खल रहा है महिला पहलवानों को ?

Indian wrestling in suicidal Zone

बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ , महिला सशक्तिकरण और न जाने कैसे कैसे लुभावने नारे परोसने वाली सरकारें महिला पहलवानों और अन्य शोषित महिला खिलाडियों के मामले में कितनी गंभीर हैं , देश की माता बहनों और महिला खिलाडियों के लिए वे किस कदर संवेदनशील हैं , ताज़ा प्रकरण से साफ़ हो जाता है । एक तरफ तो सरकार कह रही है कि सच सामने आना चाहिए और दोषियों को दण्डित किया जाना चाहिए लेकिन हर मामले की सच्चाई जानने के लिए यदि सर्वोच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है तो यह मानना पड़ेगा कि देश में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा ।

कुछ शोषित और पडताडित महिला खिलाडी कह रही हैं कि देश के खिलाडियों को हर छोटी बड़ी उपलब्धि पर बधाई देने वाले और खिलाडियों का मनोबल बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री जी तक शायद महिला पहलवानों के शारीरिक शोषण की खबर नहीं पहुँची है । वरना क्या कारण है कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी देश की नामी पहलवान अपने फेडरेशन अध्यक्ष के विरुद्ध डटी हुई हैं । हालाँकि फिलहाल निचले स्तर के अधिकारीयों की विफलता , खेल मंत्रालय की विवशता और पहलवानों के आरोपों की जांच करने वाली कमेटी के टालू रवैये ने पहलवानों की पीड़ा को बढ़ाया है और उनके सब्र का बाँध टूट गया है|

महिला पहलवान धरना स्थल पर रोटी बिलखती हुई अपनी पीड़ा सुनाती रही हैं और उन्होंने यहां तक कहा है कि एक नहीं सात सात लड़कियों के साथ ब्रजभूषण ने दुराचार किया है, जिनमें एक नाबालिग बच्ची भी है । हैरानी वाली बात यह है कि इस मामले की गूँज देश के शीर्ष नेताओं तक नहीं पहुँच पाई है । हाँ , मौका तलाश रहे विपक्ष ने इस मुद्दे को कैच जरूर कर लिया है और अब देश की चैम्पियन लड़कियों के प्रति सहानुभूति दिखा कर राजनीतिक रोटियां सेंकने लगे हैं ।

हैरानी वाली बात यह है कि यौन शोषण के मामले नए नहीं हैं । खेल मंत्रालय और जिम्मेदार खेल संघों को पहले भी चेताया जाता रहा है लेकिन गंभीरता की कमी के चलते ज़्यदातर मामलों को दबाया जाता रहा है । हरियाणा के खेल मंत्री और पूर्व ओलम्पियन हॉकी खिलाडी संदीप सिंह पर आरोप लगे , मीडिया ने कुछ दिन तौबा मचाई और फिर हर कोई मौन हो गया । साइकिलिंग , टेबल टेनिस , तैराकी और तमाम खेलों में महिला खिलाडियों ने कोचों और फेडरेशन अधिकारियों पर आरोप लगाए लेकिन महिलाओं के प्रति झूठी आस्था और सद्भावना दिखाने वाली सरकारों ने एक भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया । नतीजा सामने है । अब तो सात लड़किया एक साथ आरोप लगा रही हैं ।

खिलाडियों को खोखली लोकप्रियता का सामान समझने वाली सरकारें यह भूल रही हैं कि दुनिया के इतिहास को बनाने और बदलने में इस प्रकार की क्रन्तिकारी बहन बेटियों की बड़ी भूमिका रही है। यदि ब्रज भूषण निर्दोष हैं तो आरोप लगाने वाली महिला खिलाडियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए । लेकिन यदि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है तो राजनीति करने वालों को जनता सजा दे सकती है ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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