खेल अवार्डों को लेकर खामोशी क्यों छाई है?

sports awards

पिछले कई दिनों से भारतीय खेलों में उत्सुकता के साथ साथ संदेह और अविश्वास का माहौल पनप रहा है। ऐसा खेल अवार्डों को लेकर हो रहा है। जैसा कि तय है कि देश के राष्ट्रपति 29 अगस्त को खेल अवार्ड बांटते है। लेकिन इस साल अवार्ड समारोह पैरालम्पिक खेलों के कारण आगे सरकाया गया था। लेकिन कई सप्ताह बीत जाने के बाद भी आज तक यह तय नहीं हो पाया अवार्ड कब बांटे जाएंगे। अनिश्चितता के चलते खेल अवार्डों के लिए आवेदन करने वालों का असंतोष बढ़ रहा है।

ओलंम्पिक खेलों में पदक जीतने वाले दिव्यांग खिलाड़ियों को सामान्य खिलाड़ियों जैसा सम्मान कम ही मिल पाता है। यह सही है कि सरकारें उन्हें बराबर पुरस्कार राशि देती हैं और राष्ट्रीय खेल अवार्डों को लेकर भी कोई भेद भाव नहीं किया जाता लेकिन चूंकि अब इस श्रेणी के ओलंम्पिक पदक विजेता लगातार बढ़ रहे हैं इसलिए अवार्डों के दावेदारों के बारे में भी नए सिरे से सोचना पड़ेगा। मुकाबला तगड़ा है और अवार्ड कमेटी की सिरदर्दी बढ़ सकती है।

संभवतया ऐसा पहली बार हो रहा है जबकि राष्ट्रीय खेल अवार्ड समारोह 29 अगस्त से आगे स्थगित किया गया है। आयोजकों के अनुसार पैरा ओलंम्पिक खेलों में भाग लेने गए खिलाड़ियों को लेकर यह फैसला किया गया है। खेल समाप्त हुए कई दिन हो चुके हैं लेकिन कहीं कोई हरकर दिखाई नहीं पड़ती।

बेशक, नीरज चोपड़ा समारोह का आकर्षण रहेंगे और जब उन्हें राष्ट्रपति महोदय खेल रत्न देंगे तो उनकी कामयाबी की तालियों से अशोक हाल गूंज उठेगा। लेकिन दिव्यांग चैंपियन भी पीछे नहीं रहने वाले। ज्यादा पदक जीतने की एवज में उन्हें अधिकाधिक सम्मान मिलने की संभावना है। अब देखना यह होगा कि खेलमंत्रालय और अवार्ड कमेटी किस प्रकार सामंजस्य बैठाते हैं।

सरकार पहले ही कह चुकी है कि दिव्यांग खिलाड़ियों से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा। तो फिर यह मान लें कि इस बार का समारोह दिव्यांगों के नाम रहेगा? अधिकाधिक खेल रत्नों और अर्जुन पुरस्कारों पर उनका कब्जा संभव है। ऐसा होना भी चाहिए। उनका प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा है।

सीधा सा मतलब है कि टोक्यो ओलंम्पिक ने दिव्यांग खिलाड़ियों का कद बहुत ऊंचा कर दिया है। भले ही भारतीय खिलाड़ियों ने सर्वाधिक सात पदक जीत कर नया रिकॉर्ड बनाया है लेकिन दिव्यांगों ने पिछले सभी कीर्तिमान धो डालें हैं।

उल्लेखनीय यह है कि खेल रत्न पाने वाली 51 वर्षीय दीपा मलिक सबसे उम्रदराज महिला खिलाड़ी हैं। दीपा ने 2016 के रियो खेलों में गोला फेंक का रजत पदक जीता था। तीन साल बाद उन्हें लड़ झगड़ कर खेल रत्न मिला था। आज वह पैरा खेल फेडरेशन की अध्यक्ष हैं और अपने खिलाड़ियों के लिए कुछ भी कर गुजर सकती हैं। उनसे पहले दो ओलंम्पिक स्वर्ण जीतने वाले देवेंद्र झांझजरिया यह सम्मान पाने वाले पहले पैरा एथलीट हैं।

ओलंम्पिक और पैरा ओलंम्पिक खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में से कुछ एक को पहले ही खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड मिल चुके हैं। बाकी में से कितनों को सम्मान मिलेगा इसका फैसला अवार्ड कमेटी को करना है। लेकिन कमेटी की मीटिंग हो नहीं रही, सरकार भी खामोश है और अवार्डों के लिए आवेदन करने वाले खिलाड़ी, कोच और अन्य हैरान परेशान हैं।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
Share:

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *