निकहत की कामयाबी से क्यों जलती है मैरी कॉम

Why is Mary Kom a big problem for Nikhar

विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली निकहत ज़रीन को पूरे देश में सराहा जा रहा है, शुभकामना और बधाई दी जा रही है। लेकिन मेरीकॉम खामोश है। इसलिए चूंकि वह निकहत की प्रबल प्रतिद्वंद्वी है और शायद दोनों में ३६ का आंकड़ा भी है। इसलिए क्योंकि उनकी कैटेगरी एक है और जल्दी ही एक दूसरे का सामना कर सकती हैं।

बेशक, मेरी
काम भारतकी श्रेष्ठ महिला मुक्केबाज है। छह बार की विश्व विजेता मेरी ने २०१२के लंदन ओलंपिक में पदक जीत कर महिला मुक्केबाजी को नई पहचान दी थी लेकिन तत्पश्चात वह सिर्फ खबरों और आरोपों में कुछ ज्यादा रही। ३९ वर्षीय मेरीकॉम को निकहत फूटी आंक नहीं भाती, यह जगजाहिर है।

भले ही मणिपुर की यह मुक्केबाज विश्व स्तर पर जानी पहचानी गई लेकिन उभरती और जूनियर खिलाड़ियों के लिए वह ऐसा आदर्श नहीं बन पाई जैसा रुतबा पीटी उषा और पीवी सिंधू का रहा है। उसे राज्य सभा सांसद बनाया गया लेकिन महिला मुक्केबाजों में वह लोकप्रियता से ज्यादा विवादों के लिए जानी गई।

भारतीय मुक्केबाजी की समझ रखने वालों में ऐसे बहुत से हैं जिनका मानना है कि उसे बारह साल पहले लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद सन्यास की घोषणा कर देनी चाहिए थी। लेकिन उसने लगातार खेलते रहने का मोह बनाए रखा। रियो और टोक्यो ओलंम्पिक में उसका प्रदर्शन स्तरीय नहीं रहा।
मेरी काम की आदत हार नहीं मानने की रही है। उसने रियो और टोक्यो ओलंम्पिक की पराजयों को लेकर बहानेबाजी की और कहा कि कुछ लोगों को उसकी सफलता रास नहीं आई।

लेकिन मुक्केबाजी और अन्य खेलों में रुचि रखने वालों का मानना है कि मेरी ने अपने भार वर्ग की मुक्केबाजों से कभी भी अच्छे संबंध नहीं रखे। ताज़ा विश्व चैंपियन निकहत ज़रीन पिछले कुछ सालों में उसकी प्रबल प्रतिद्वंद्वी बन कर उभरी। जानकारों के अनुसार यदि टोक्यो ओलंम्पिक में मेरी की जगह निकहत टीम में शामिल होती तो वह पदक जीत सकती थी। यह भी आरोप लगाया जाता है कि निकहत को गंदी राजनीति के चलते ओलंम्पिक का टिकट नहीं मिल पाया। उसके साथ वही हुआ, जिसकी शिकार पिंकी जांगड़ा, सरिता और कुछ और लड़कियां हुईं।

लेकिन अब निकहत नई चैंपियन बन कर उभरी है। उसका लक्ष्य 2024 के पेरिस ओलंम्पिक में पदक जीतने का है। उधर मेरी काम भी डटी हुई है। उसने भी पेरिस जाने का मन बनाया है। अर्थात चैंपियन बनने के बाद भी निकहत को अभी एक और लड़ाई लड़नी है। एक ही भार वर्ग में दोनों की गुर्राहट अच्छा संकेत कदापि नहीं है। दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। ऐसे में उन्हें फिर से क्वालीफायर में भिड़ना पड़ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो निकहत के साथ नाइंसाफी होगी।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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