हॉकी इंडिया की वापसी किसलिए?

Why Hockey India league here again

छह साल बाद एक बार फिर से हॉकी इंडिया लीग की शुरुआत होने जा रही है । हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व ओलम्पियन दिलीप टिर्की का मानना है कि लीग की शुरुआत से भारत में हॉकी फिर से पुनर्जीवित हॉकी और विश्व स्तर पर खेल को नयी ऊर्जा मिलेगी । लेकिन इस फैसले पर फिर से सवाल जवाब भी शुरू हो गए हैं | कारण , हॉकी के पालन हार आज तक भारतीय हॉकी के चाहने वालों का विश्वास नहीं जीत पाए हैं|

बेशक, लीग को फिर से शुरू करने का फैसला स्वागत योग्य है लेकिन हॉकी से जुड़े खिलाडी , कोच और हॉकी प्रेमी जानना चाहते हैं अच्छी खासी लीग को बीच राह रोका क्यों गया और क्या गारंटी है कि फिर से शुरू होकर यह आयोजन जारी रहेगा ? ज्यादातर पूर्व ओलम्पियनों का मानना है कि लीग आयोजन से विदेशी खिलाडियों का भला हो सकता है लेकिन भारत में क्योंकि हॉकी शुरू से ही अव्यवस्थित है इसलिए कोई बड़ा फर्क शायद ही पड़े । जरुरत इस बात की है कि पहले हॉकी को पूरे देश का खेल बनाया जाए | कुछ आलोचकों का मानना है कि हॉकी इंडिया ने देश के सबसे लोकप्रिय खेल को बर्बाद कर दिया है |

दिल्ली , पंजाब , महाराष्ट्र , यूपी , एमपी आदि प्रदेशों में आयोजित होने वाले कई नामी टूर्नामेंट या तो बंद कर दिए गए हैं या अंतिम साँसे ले रहे हैं | नतीजन हॉकी आम भारतीय से कट गई है |

पूर्व खिलाडियों में से कुछ एक की राय में जब तक देश में ग्रास रुट पर खेल को बढ़ावा नहीं दिया जाता , भविष्य की प्रतिभावों को प्रोत्साहन नहीं दिया जाता , खेल का भला शायद ही हो । कारण, हॉकी को संचालित करने वाले दावे तो बहुत करते हैं लेकिन भारतीय हॉकी के मायने सिर्फ वो तीस खिलाडी रह गए हैं जोकि एक प्रक्रिया के तहत टीम में अंदर बाहर होते रहते हैं। बदलाव के नाम पर इन खिलाडियों के बीच म्यूजिक चेयर वाला खेल रचा जाता है ।

द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित कुछ कोचों के अनुसार ओलम्पिक , एशियाड और वर्ल्ड कप में फ्लॉप शो के बाद भी भारतीय हॉकी के कर्णधार वही पुराना राग अलापने में लगे हैं । ज्यादातर कोच और पूर्व खिलाडी टोक्यो ओलम्पिक में जीते कांस्य पदक को ज्यादा अहमियत नहीं देते । उनकी राय में जब तक टीम के प्रदर्शन में स्थाईत्व नहीं आता, बेकार के दावे और आत्ममुग्धता ठीक नहीं है । उनकी राय में जब तक हॉकी फिर से पूरे देश का खेल नहीं बन जाता हॉकी लीग या बड़े से बड़े अंतर्राष्ट्रीय आयोजन से कोई फायदा नहीं होने वाला ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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