भारतीय कुश्ती के सर्वकालीन श्रेष्ठ गुरु पद्मश्री गुरु हनुमान को उनकी 24वीं पुण्य तिथि पर आज यहां गुरु हनुमान बिड़ला व्यायामशाला पर उनके शिष्यों ने याद किया। महाबली सतपाल, द्रोणाचार्य महासिंह राव, सुजित मान, राजीव तोमर, शीलू और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय पहलवानों और कोचों ने गुरु हनुमान की मूर्ति पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
उस समय जबकि भारतीय कुश्ती संकट के दौर से गुजर रही है गुरु हनुमान जैसे गुरुओं को याद करने के मायने हैं। इसलिए, क्योंकि वे ऐसे गुरु और प्रशिक्षक थे , जिसने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया और पहलवानों को अपने बच्चों की तरह पाला पोसा और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
इसमें दो राय नहीं कि विजयपाल से गुरु हनुमान तक का सफर तय करने में उन्हें अनेक उतार चढ़ाव देखने पड़े। घनश्याम दास बिड़ला द्वारा बहादुरी के उपहारस्वरूप मिले अखाड़े को उन्होंने विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। अनेकों अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले उनके अखाड़े ने सतपाल, करतार, प्रेम नाथ, सुदेश, जगमिंदर जैसे पहलवान पैदा किए जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय पदक जीत कर अपने गुरु और देश का नाम रोशन किया।
हालांकि यह अखाड़ा अब भी पदक जीत रहा है लेकिन वह पहले वाली बात नहीं रही । ऐसा इसलिए क्योंकि अब गुरु हनुमान पहलवानों पर लाठियां और गालियां नहीं भांजते । एक दौर ऐसा भी था जब बड़े से बड़े पहलवान अपने गुरु की चौकसी में रहते थे। उनका काम सिर्फ और सिर्फ कुश्ती लड़ना और देश के लिए पदक जीतना था।
शुरुआती वर्षों में गुरु हनुमान महिला कुश्ती के कट्टर विरोधी थे लेकिन वक्त के साथ साथ उन्होंने धारणा बदली फिर भी वे पुरुष पहलवानों को महिलाओं से मीलों दूर रखने में विश्वास करते थे।
आज की परिस्थितियों को देखते हुए गुरु हनुमान की सोच शायद गलत नहीं थी। हालांकि उनके रहते ही भारत में महिला कुश्ती ने उड़ान भरनी शुरू कर दी थी लेकिन जिन अखाड़ों ने महिला और पुरुष पहलवानों को एक छत के नीचे पढ़ना सिखाना शुरू किया उनमें से कई एक में व्यवस्था का सवाल खड़ा हो गया है। कुछ एक में खून खराबे की भी नौबत भी आई।
आज जबकि कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं , गुरु हनुमान होते तो शायद दोनों ही पक्षों को बुरा भला कहते। साथ ही दूरी बनाए रखने की नसीहत भी देते।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |