तो क्या खेलों के अच्छे दिन लद गए?

Whats wrong with Indian sports

ऐसा लगता है कि टोक्यो ओलंम्पिक के समापन के साथ ही शायद भारतीय खेलों के अच्छे दिन भी लद चुके हैं। ओलम्पिक में रिकार्ड पदक जीतने के बाद देश में ऐसा माहौल बना दिया गया था जैसे कि हम खेल महाशक्ति बन गए हैं और अब बस अमेरिका और चीन जैसे देशों को पीछे छोड़ने की तैयारी है। लेकिन पिछले तीन चार महीनों मेंजो कुछ घटित हुआ है उसे देख कर तो यह लग रहा है कि ओलम्पिक में जीते पदक तीर तुक्का थे।

हालाँकि क्रिकेट ओलम्पिक में शामिल नहीं है लेकिन चूँकि यह खेल भारत का सबसे प्यारा , दुलारा और मुंह लगा खेल है इसलिए क्रिकेट में मिली हार जीत आम भारतीय के लिए बड़े मायने रखती है। पिछले कुछ दिनों में भारतीय खिलाडियों ने दक्षिण अफ्रीका में जैसा प्रदर्शन किया उसे लेकर भारत के महान क्रिकेट समीक्षक और विद्वान् मौन हो गए हैं अपनी टीम की हार पर आम तौर पर इन तथाकथित क्रिकेट पंडितों की लेखनी को जैसे कोरोना मार जाता है। क्रिकेट बोर्ड में बैठे खलनायकों और टीम के अंदर घुसे बैठे गद्दारों के नाम जानते हुए भी हमारा क्रिकेट मीडिया सुन्न हो गया है।

यह सही है कि कप्तानों के मामले में भारतीय क्रिकेट बोर्ड हमेशा से निष्ठुर रहा है। बेचारे धोनी के साथ जो हुआ वह तो विराट के साथ भी होना ही था और आगे आने वाले कप्तानों को भी ऐसी ही सजा भुगतनी पड़ेगी। लेकिन हमारा क्रिकेट मीडिया कुछ बोल क्यों नहीं रहा? इसलिए चूँकि बोर्ड के उच्च पदों पर बिग बॉस विराजमान हैं? खैर क्रिकेट तो ऐसे ही चलेगी| बल्कि कुछ दिनों में दौड़ने लगेगी । लेकिन ओलम्पिक खेलों का क्या होगा?

चिंता का कारण यह है कि कुछ महीने बाद कॉमनवेल्थ खेल और एशियाई खेल होने हैं। पेरिस ओलम्पिक के लिए अभी ढाई महीने का समय बचा है। कुश्ती, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, जेवलिन थ्रो और हॉकी में भारतीय खिलाडियों ने टोक्यों ओलम्पिक में पदक जीते लेकिन हॉकी टीमों के लक्षण ठीक नहीं लग रहे।पुरुष और महिला टीमों को जापान हरा चूका है। कोरिया से महिला टीम हार चुकी है। ऐसे में यह कहना न्याय संगत नहीं होगा कि भारतीय हॉकी सही दिशा में बढ़ रही है।

फुटबाल में भारत कि हैसियत किसी से छिपी नहीं है। हम्मारी पुरुष टीम विश्व कप के क्वालीफायर मुकाबलों के पहले ही दौर में बाहर हो गई थी और अब महिला टीम भी अपनी मेजबानी में एएफसी एशिया कप से बाहर हो चुकी है। बेशक महामारी के चलते दुनिया में बहुत से खेल बिगड़ रहे हैं लेकिन अपनी मेजबानी में महिला टीम की 12 खिलाडियों का कोरोना संक्रमित होना बेहद चिंता जनक है। सवाल यह पैदा होता है कि आखिर हमारे खेल और खिलाडी ही क्यों बीमार हो रहे हैं? क्यों हम तमाम खेलों में नीचे गिर रहे हैं?

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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