बेशक, हरियाणा भारत का “खेल राज्य” है , जिसने देश को अनेक एशियाड और ओलम्पिक पदक विजेता दिए हैं और राष्ट्रीय और कॉमनवेल्थ चैम्पियनों की तो भरमार है । हरियाणा के खिलाडी न सिर्फ अपने प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रहे हैं बल्कि खिलाडियों की तादात इतनी बड़ी है और उनमें प्रतिभा इस कदर कूट कूट कर भरी है कि आज देश के अनेक राज्य हरियाणवी खिलाडियों की सेवाएं ले रहे हैं और उनके दम पर अपने राज्य का मान बढ़ा रहे हैं । खासकर, महिला खिलाडियों की कामयाबी का ग्राफ तो लगातार ऊंचा उठ रहा है।
लेकिन हरियाणा ऐसा पहला राज्य भी बन गया है जिसके खेल मंत्री पर किसी महिला खिलाडी और कोच ने यौनशोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं । ऐसा उस राज्य में हो रहा है, जिसने सालों साल बहन बेटियों पर अत्याचार के रिकार्ड बनाए । लेकिन वक्त के साथ साथ आम हरियाणवी की मानसिकता में बदलाव आया है और बेटियां हर क्षेत्र में मान सम्मान कमा रही हैं। तो फिर कैसे कोई हरियाणा की अस्मत से खेल सकता है ? कैसे कोई नेता या मंत्री महिलाओं के साथ मनमानी कर सकता है ? प्रदेश का विपक्ष नमक मिर्च लगाकर और चटखारे लेकर खेल मंत्री और पूर्व हॉकी खिलाडी की करतूतों पर थू थू कर रहा है लेकिन सरकार पता नहीं क्यों उस मंत्री का बचाव कर रही है जिसका हॉकी रिकॉर्ड भले ही अच्छा रहा हो लेकिन मंत्री बनने के बाद उसने कैसे गुल खिलाए यह जानकर खेल बिरादरी गुस्से में है ।
विपक्ष कह रहा है कि हरियाणा सरकार एक ऐसे गुनहगार को बचा रही है जिसने न सिर्फ अपने पद का दुरूपयोग किया, बल्कि खेल द्वारा अर्जित पदकों और पुरस्कारों का भी अपमान किया है । कुछ खिलाडी , कोच और खेल से जुडी हस्तियां संदीप सिंह पर गंभीर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं । हालाँकि पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और सरकार भी जल्द कोई फैसला सुना सकती है लेकिन प्रदेश के खिलाडियों का बड़ा वर्ग संदीप सिंह की गुंडई के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है । यह भी पता चला है कि मौके पर चौका लगाने के लिए राजनीतिक पार्टियां बाकायदा उसके खिलाफ तथ्य जुटाने में लगी हैं ।
कुछ पूर्व खिलाडियों और कोचों के अनुसार खेल मंत्री जी ने प्रदेश में आतंक फैला रखा था । अपनी बात और मांग के लिए वह कहीं तक भी गिर सकता है, ऐसा कुछ खिलाडियों का कहना है । कुछ पूर्व ओलम्पियनों के अनुसार संदीप सिंह ने न सिर्फ पार्टी का नाम खराब किया बल्कि प्रदेश के खेलों और खासकर , हॉकी को गहरा आघात पहुँचाया है । यह भी पता चला है कि कुछ विपक्षी पार्टियां संदीप की मनमानी और खिलाड़ियों के साथ की गई धोखाधड़ी का कच्चा चिटठा तैयार कर राजनीतिक लाभ कमाने के लिए प्रयासरत हैं ।
संदीप चूँकि खुद को पाक साफ़ बता रहे हैं इसलिए उन्हें अपनी सफाई में कुछ भी कहने और करने का हक़ है । यदि महिला कोच झूठ बोल रही है तो उसे भी माफ़ नहीं किया जाना चाहिए लेकिन जरुरत इस बात की भी है कि खेल मंत्री बनने के बाद उसके तमाम कामों की जांच की जाए । प्रदेश के खिलाडियों , अभिभावकों और खेल प्रशासकों से उसके कामों की रिपोर्ट मांगी जाए ताकि दूध का दूध हो सके ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |