यदि कोई अनहोनी नहीं होती तो भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अगले अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के करीबी गोरखपुर के संजय सिंह हो सकते हैं। संजय की ताजपोशी के लिए चंद घंटे शेष हैं। भले ही चुनाओें के लिए खासी उठा पटक हुई लेकिन तमाम आरोपों से घिरे निवर्तमान अध्यक्ष ब्रज भूषण की घेराबंदी में आंदोलनकारी पहलवानों से लेकर उनके समर्थक , आईओए और खेल मंत्रालय के बड़े नाकाम साबित होने जा रहे हैं।
हालांकि आंदोलनकारियों के अगुवा पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने अब भी हिम्मत नहीं हारी है लेकिन उनकी हर चाल अब उल्टी पड़ती नजर आ रही है। प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से 25 में से 22 सदस्य इकाइयां ब्रज भूषण समर्थित धड़े के पक्ष में हैं। सीधा सा मतलब है कि एक मात्र महिला उम्मीदवार कामनवेल्थ खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण अध्यक्ष पद की कमजोर दावेदार साबित होने जा रहे रही हैं। अर्थात जो शख्स कल तक भारतीय कुश्ती में खलनायक कहा जा रहा था उसके वारे न्यारे हो सकते हैं और उस पर आरोप लगाने वाले पहलवानों के बुरे दिनों की शुरुआत भी हो सकती है।
यूं तो बजरंग, विनेश और साक्षी ने ब्रज भूषण समर्थित पदाधिकारियों को रोकने का भरसक प्रयास किया, खेल मंत्रालय ने भी शायद कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन अनुभवी ब्रज भूषण द्वारा बिछाई बिसात की काट कोई भी नहीं खोज पाया।
कुल मिला कर 12 जून के चुनाव नतीजे निवर्तमान अध्यक्ष के लिए नई पारी की शुरुआत हो सकते हैं तो आंदोलनकारी पहलवानों को कठिन समय गुजारना पड़ेगा। भले ही बजरंग और विनेश ने बिना ट्रायल एशियाड का टिकट पा लिया है लेकिन आगे के कदम उन्हें फूंक फूंक कर रखने पड़ेंगे। अंदर बाहर हर तरफ से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। जूनियर पहलवान उनसे खफा हैं तो नई फेडरेशन से भी बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |