महिला पहलवानों और कुश्ती फेडरेशन अध्यक्ष सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के बीच चल रही आत्मसम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही । यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला पहलवानों ने आर पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है और दिन पर दिन उनका आंदोलन और आक्रोश गति पकड़ रहा है । इस बीच आईओए की देख रेख में गठित समिति को 45 दिनों के अंदर कुश्ती फेडरेशन के चुनाव कराने का आदेश भी जारी कर दिया गया है ।
चूँकि ब्रज भूषण तीन कार्यकाल पूरे कर चुके हैं इसलिए उनके मैदान में उतरने का सवाल ही पैदा नहीं होता । वैसे भी उन पर महिला पहलवानों के शारीरिक शोषण का आरोप है और एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है । जहां एक तरफ बड़े छोटे पहलवान , कुश्ती प्रेमी , विभन्न दलों के राज नेता और अन्य तबकों के लोग पहलवानों को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं तो कुश्ती फेडरेशन के चुनाव के लिए गठित समिति ने भी मोर्चा संभाल लिया है ।
भले ही पहलवानों के धरना प्रदर्शन के चलते विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की तैयारी प्रभावित हो रही है लेकिन कुश्ती फेडरेशन के चुनाव को प्राथमिकता दी जा रही है । पता नहीं चुनाव को लेकर किसकी क्या मंशा है लेकिन इतना तय है कि जीते कोई भी भारतीय कुश्ती फेडरेशन पर राज ब्रजभूषण शरण सिंह का ही रहेगा , कुछ पूर्व ओलम्पियनों और जाने माने अंतर्राष्ट्रीय कोचों का ऐसा मानना है । तर्क दिया जा रहा है कि देश की अधिकांश राज्य इकाइयों के शीर्ष पदों पर नेताजी के अपने नाते रिश्तेदार , सम्बन्धी और घर के लोग और करीबी बैठे हैं ।
अगला अध्यक्ष कौन हो सकता है ? यह सवाल धरना प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के समान्तर चल रहा है । सूत्रों के अनुसार नेताजी के सुपुत्र और फेडरेशन उपाध्यक्ष करन कुछ महीने पहले तक अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार के रूप में देखे जा रहे थे लेकिन पिता पर महिला पहलवानों के आरोपों के चलने उनकी उम्मीद पर पानी फिर सकता है । गोवा कुश्ती एसोसिएशन के संजय सिंह हालाँकि यूपी से हैं लेकिन नेताजी के आशीर्वाद से मीलों दूर कुश्ती की सेवा कर रहे हैं । दिल्ली कुश्ती एसो. के अध्यक्ष जय प्रकाश पहलवान का नाम भी सुर्ख़ियों में है लेकिन उनके साथ समस्या यह है कि 1995 का तंदूर काण्ड उनका पीछा नहीं छोड़ रहा । नतीजन , उन्हें कई राष्ट्रीय खेल अवार्डों से भी हाथ धोना पड़ा है ।
अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार कुश्ती फेडरेशन के कोषाध्यक्ष सतपाल सिंह देशवाल को माना जा रहा है । तारीफ़ की बात यह है कि देशवाल मेरठ से हैं लेकिन उत्तराखंड कुश्ती एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर काबिज हैं । इसी प्रकार बिहार , छतीसगढ और कई अन्य राज्य इकाइयों के शीर्ष पदों पर नेताजी के भरोसे के लोग जमे बैठे हैं । सीधा सा मतलब है कि ब्रजभूषण पर आरोप साबित हों या पाक साफ़ बच निकलें या अध्यक्ष कोई भी बने लेकिन भारतीय कुश्ती की शीर्ष संस्था पर उनकी पकड़ धकड़ बनी रहेगी ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |