टोक्यो ओलम्पिक में रजत पदक विजेता मीराबाई चानू से जैसी उम्मीद थी बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में उसका प्रदर्शन उसके अनुरूप रहा। दरअसल भारत को चानू से यही अपेक्षा थी क्योंकि वह गोल्डकॉस्ट खेलों में भी स्वर्ण जीत चुकी थी। यही कारण है कि मणिपुर की मीरा अपने भार वर्ग में पहले ही विजेता मान ली गई थी। भारत को दूसरी बड़ी कामयाबी मात्र 19 वर्षीय सिक्किम के जेरेमी लालरिनुन्गा ने दिलाई जिसने 3०० किलोग्राम के रिकार्ड प्रदर्शन के साथ न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता, कई जाने माने वेटलिफ्टर को हैरान भी किया।
हालाँकि मीरा और जेरेमी के अलावा और भी कई भारतीय महिला और पुरुष वेटलिफ्टर पदक जीत रहे हैं और उम्मीद की जा रही है की इस बार वेटलिफ्टिंग में भारतीय प्रदर्शन गोल्डकोस्ट के रिकार्ड से पार निकल जाएगा। पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में जब भारतीय वेटलिफ्टरों ने महिलाओं के तीन और पुरषों के दो स्वर्ण पदकों सहित कुल पांच स्वर्ण जीते थे तो ज्यादातर के कोचों और और सपोर्ट स्टाफ ने कामयाबी का कारण साफ सुथरे खेल को बताया। अधिकाँश ने बताया कि वे अपने कोचों और सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए जिमों और हेल्थ सेंटर में अभ्यास करते है।
कुछ एक ने तो यहाँ तक कहा कि वे पॉवरलिफ्टिंग और बॉडी बिल्डिंग जैसे खेलों से दूरी बना कर रखते हैं।
इसमें दो राय नहीं कि बॉडी बिल्डिंग एक दर्शनीय और लोकप्रिय खेल है लेकिन विश्व स्तर पर यह खेल नशाखोरी और लूटखसोट का अड्डा बन चूका है। दुनिया भर में इस खेल के कई अंतर्राष्ट्रीय गुट सक्रीय हैं और हर कोई खुद को असली बताता है। भारत में भी बॉडी बिल्डिन्न्ग की कई दुकाने चल रही हैं। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर स्वघोषित चैम्पियनों की भरमार है। कुछ कुछ यही हालत पावर लिफ्टिंग में भी है।
जहां तक पावर लिफ्टिंग की बात है तो कुछ हद तक यह खेव वेटलिफ्टिंग का बिगड़ा हुआ रूप है। इस खेल में अनेक तथाकथित विश्व चैम्पियन है। बॉडी बिल्डिंग की तरह यह खेल भी सरकार द्वारा मान्य नहीं है। कुछ नामी वेटलिफ्टरों के अनुसार शुरूआती वर्षों में वे पॉवरलिफ्टिंग के जालसाजों के झांसे में आ गए थे लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ आ गई और उन्होंने ट्रैक बदल कर वेटलिफ्टिंग से नाता जोड़ लिया।
बॉडी बिल्डिंग की तरह पॉवरलिफ्टिंग भी लगातार अपनी पहचान खो रहा है, जिसका फायदा वेटलिफ्टिंग को मिलना स्वाभाविक है क्योंकि तीनों ही खेल जिम कल्चर से जुड़े हैं। बॉडी बिल्डिन और पावर लिफ्टिंग से जुड़े कुछ चैम्पियन भी अपने खेलों में व्याप्त धांधली से बहुत परेशान हैं। वे भी वेटलिफ्टरों की तरह नाम और सम्मान कमाना चाहते हैं, उनमें भी मीरा और जेरेमी की तरह का जोश है, लेकिन खेल की आड़ में ड्रग्स और फ़ूड सप्लीमेंट का कारोबार करने वाले उनके अंदर के चैम्पियन को पनपने नहीं देते। नतीजन दोनों ही खेल खेल मंत्रालय द्वारा अमान्य करार दिए जा चुके हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |