फीफा वर्ल्ड कप , 2022 का बाजार सज गया है । 20 नवम्बर से 18 दिसंबर तक चलने वाले दुनिया के सबसे विशाल और आकर्षक खेल मेले में भाग लेने वाले 32 सर्वश्रेष्ठ फुटबाल राष्ट्र अपनी अंतिम तैयारी में जुए हैं तो उनके देशवासी अपनी टीम और खिलाडियों के लिए शुभकामना , पूजा , प्रार्थना में लीन हैं । विश्व फुटबाल के महानतम खेल राष्ट्र ब्राजील से लेकर मेजबान क़तर में बस आगामी फीफा वर्ल्ड कप की चर्चा है । कौन चैम्पियन बनेगा , इस विषय पर बहस छिड़ चुकी है । कोई कह रहा है कि पिछले चैम्पियन फ़्रांस का खिताब बचाना मुश्किल है तो कोई ब्राज़ील या अर्जेंटीना की जीत पर दांव खेल रहा है ।
खैर जीते कोई भी अंततः असली जीत फुटबाल की ही होनी है । कुछ फुटबाल अकादमियों के उभरते खिलाडी अक्सर पूछते हैं कि भारत वर्ल्ड कप में क्यों नहीं खेलता । खासकर उनकी जिज्ञासा तब से कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है जबसे महान खिलाडियों मेस्सी और रोनाल्डो के साथ सुनील छेत्री की तस्व के दर्शन किए हैं । मासूम बच्चों को कैसे बताएं कि अपना देश फुटबाल के खेल में अंतिम कतार में खड़ा है जिसे महाद्वीप की फुटबाल में भी सम्मान जनक स्थान प्राप्त नहीं है । उन्हें कैसे समझाएं कि भारतीय फुटबाल का भी कभी नाम था।
इसमें दो राय नहीं कि भारत में भले ही क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है लेकिन फुटबाल कि लोकप्रियता भी कम नहीं है । भले ही हम खेल के मामले में बेहद कमजोर राष्ट्र हैं लेकिन हमारे पास करोड़ों फुटबाल प्रेमी हैं जोकि पूरे एक महीने
जाग जाग कर वर्ल्ड कप का लुत्फ़ उठाते हैं , करोड़ों का सट्टा और जुआ खेलते हैं , दफ्तर और काम पर नहीं जाते । और हाँ , यदि अपनी पसंदीदा टीम हार जाए तो अपने टीवी सेट तोड़ने में वक्त नहीं लगाते । इतना ही नहीं कभी कभार हालत इतने गंभीर हो जाते हैं कि कुछ एक दीवाने आत्म हत्या तक कर डालते हैं ।
सवाल यह पैदा होता है कि जब देश में फुटबाल और फुटबाल खिलाडियों के लिए इस कदर पागलपन है तो इस महान खेल कि तरफ सरकार , फुटबाल फेडरेशन, बड़े औद्योगिक घरानों और कंपनियों की कृपा दृष्टि क्यों नहीं पड़ती ? क्यों हमारा विशाल देश इस खेल में आगे नहीं बढ़ पा रहा ? क्यों और कैसे कुछेक लाख की आबादी वाले देश खिताब ले उड़ते हैं और 140 आबादी वाला तथाकथित लोकतंत्र देखता रह जाता है ?
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |