चीन में आयोजित होने वाले एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ी जितने पदक जीतेंगे उसके आधार पर एक साल बाद के पेरिस ओलंपिक खेलों की तस्वीर उभर कर आएगी। एक साल बाद एशिया के खिलाड़ियों को ओलंपिक में उतरना है। अर्थात महाद्वीपीय प्रदर्शन के बाद विश्व स्तरीय आयोजन में भाग लेना होगा।
जहां तक एशियाई खेलों की बात है तो भारतीय खिलाड़ियों के लिए यह प्लेटफार्म अधिकाधिक पदक जीतने वाला रहा है, लेकिन कुछ एक खेलों में ही हमारे खिलाड़ी पदक जीतने का करिश्मा कर पाते हैं। मसलन, एथलेटिक, कुश्ती, मुक्केबाजी,हॉकी, कबड्डी , टेनिस, बैडमिंटन, वेटलिफ्टिंग, निशानेबाजी, तीरंदाजी, टेबल टेनिस आदि खेलों में हमारे खिलाड़ियों को कामयाबी मिलती रही है।
भारत को चीन, कोरिया, जापान और कुछ अन्य देशों की चुनौती हमेशा से भारी पड़ती रही है। यह भी सही है कि भारतीय खिलाड़ी कुछ एक खेलों में ही बेहतर स्थिति में हैं। टीम खेलों में हालत बहुत ज्यादा खराब है। खासकर, वाली बाल, बास्केट बॉल, हैंड बाल, फुटबाल, बेस बाल, सॉफ्ट बाल जैसे खेलों का सफलता प्रतिशत बहु कम कहा जाएगा। फुटबाल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है। इस खेल में कभी भारत का नाम था, जोकि लगभग पूरी तरह मिट चुका है। इसी प्रकार हॉकी में भी पहले जैसी बादशाहत नहीं रही।
पिछले कुछ समय से भारतीय बैडमिंटन और टेनिस में भी चैंपियन खिलाड़ियों की कमी खल रही है। दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु और सायना नेहवाल शायद अपना श्रेष्ठ दे चुकी हैं। इसी प्रकार सानिया मिर्जा का दौर भी समाप्त हो चुका है। इन खिलाड़ियों का स्थान लेने के लिए युवा प्रतिभाएं नजर नहीं आ रहीं।
अर्थात एशियाड में कसौटी पर खरे नहीं उतरे तो ओलंपिक के दावे फुस्स हो सकते हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |