हमें चाहिए गोल के भूखे खिलाड़ी!

We are in need of goal hungry footballers

सुनील क्षेत्री के बाद कौन? यह सवाल बार बार पूछा जाता है, जिसका जवाब भारतीय फुटबाल के पास नहीं है। दूर दूर तक नजर डालें तो सुनील का स्थान लेने के लिए एक भी खिलाड़ी तैयार नहीं है। खुद सुनील को भी कहना पड़ा है कि भारतीय फुटबाल के वर्तमान खिलाड़ियों में कोई भी ऐसा नहीं जोकि गोल जमाने की योग्यता रखता हो ।

बेशक , सुनील भारतीय फुटबाल इतिहास के उन बड़े खिलाड़ियों में है जिनके लिए गोल जमाना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। ठीक वैसे ही जैसे कि पेले महान, माराडोना, ज़िदान, रूनी, रोनाल्डो, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लियोनेल मेसी, नेमार , एंबापे आदि खिलाड़ी गोल करने की कला के महारथी माने जाते रहे हैं। इस परंपरा को लिवंडोवस्की, सालाह, हॉलैंड और कई अन्य खिलाड़ी आगे बढ़ा रहे हैं।

विश्व फुटबाल में ऐसे अनेक खिलाड़ी हुए जिन्होंने गोल करने की दक्षता के दम पर अपनी टीम और देश का मान सम्मान बढ़ाया। जहां तक भारतीय फुटबाल की बात है तो सुनील उन बिरले खिलाड़ियों में से एक है जिसने गोल जमाने के हुनर से भारतीय टीम में सालों से स्थान सुरक्षित बनाए रखा है। उनसे पहले बाई चुंग भूटिया भी इस विधा के बेहतरीन खिलाड़ी रहे। लेकिन सुनील के बाद कौन गोल करेगा, यह सवाल राष्ट्रीय कोच और टीम प्रबंधन को सताने लगा है। कारण , भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल जमाने वाला खिलाड़ी सन्यास लेने को है और उसकी जगह लेने के लिए एक भी खिलाड़ी तैयार नहीं है।

यह सही है कि हमारा सर्वकालीन श्रेष्ठ स्कोरर 38 का हो गया है। अब गोल जमाने में वह पहले सा पारंगत भले ही नहीं रहा लेकिन उसकी खासियत यह है कि वह गोल करने के लिए हमेशा तत्पर रहता है। ठीक वैसे ही जैसे रोनाल्डो और मैसी इस कला के महान कलाकार रहे हैं। हालांकि रोनाल्डो भी 38 के हैं लेकिन गोल करने के मामले में वह फुटबाल इतिहास के अन्य खिलाड़ियों की तुलना में कहीं ज्यादा जिद्दी है। स्पॉट किक, हैडर, फ्रीकिक, या किसी भी अवसर को गोल में बदलने में यह पुर्तगाली कुख्यात रहा है। यूरो कप के दो मैचों में चार गोल जमा कर उसने दिखा दिया है कि उसमें अभी गोलों की भूख बाकी है।

जिस रोनाल्डो को उसके पुराने क्लब मैनचेस्टर यूनाइटेड ने भी हैरान परेशान किया उसका सऊदी क्लब अल नसर ने स्वागत किया। अपने नए क्लब के लिए भी वह बहुपयोगी खिलाड़ी है, क्योंकि वहां भी जमकर गोल जमा रहा है।
उसे एक बार फिर से राष्ट्रीय टीम का कप्तान बनाया गया है। इसलिए क्योंकि गोल जमाने में उस्ताद है। दो मैचों में चार गोल कर वह फिर से सुर्खियों में है। कुछ इसी प्रकार की कलाकारी से लियोनेल मेस्सी विश्व विजेता बने। मेस्सी का जादू अब भी चल रहा है।

बेशक, भारत को यदि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में बड़ी पहचान बनानी है तो सुनील क्षेत्री का विकल्प तैयार करना होगा, क्योंकि ऐसे खिलाड़ी ही मैचों के परिणाम तय करते हैं।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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