विनेश जीती, कुश्ती हार गई!

Vinesh Phogat

Rajender Sajwan

प्रिय विनेश
सबसे पहले आपकी संघर्ष क्षमता, लड़ाकूपन, कभी न हार मानने की जिद, जीवटता, त्याग, तपस्या और मर्दानगी को सलाम! भले ही भाग्य ने आपका साथ नहीं दिया लेकिन आप भारतीय कुश्ती इतिहास की अब तक की सर्वश्रेष्ठ पहलवान के रूप में याद की जाती रहेंगी। आपने जो किया अब तक कोई भी भारतीय खिलाड़ी नहीं कर पाया है। भले ही अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा ने ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीते लेकिन आपकी उपलब्धि शानदार और जानदार रही। एक दिन में तीन कुश्तियों के बाद भोजन लेने से बढ़े लगभग 2.7 किलो भार को कम करने के लिए आपने और आपकी टीम ने रातभर जो कड़ी मेहनत की और फिर सुबह मात्र 100 ग्राम वजन ज्यादा रह जाने से सब कुछ तबाह हो गया। वजन बढ़ जाने पर किसी खिलाड़ी को किस कदर कुर्बानी देनी पड़ती है भारतीय खेल आकाओं को समझ आ गया होगा। फिर चाहे पीटी उषा हों, ब्रजभूषण शरण सिंह, पूर्व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और अन्य सभी ने आपके पुराने घावों में तेजाब डालने का काम किया। लेकिन अब आपको सब कुछ भुलाकर नयी शुरुआत करनी है। प्रधानमंत्री जी भी आपको चैम्पियनों की चैम्पियन बता रहे हैं। आपको भारत का गौरव करार दे रहे हैं और कह रहे हैं कि मजबूत होकर फिर से भारतीय कुश्ती के नरक में कूद पड़ो। काश, प्रधानमंत्री जी ने तब आपको ढाढस बंधाया होता, जब पुलिस और सरकारी तंत्र आपको, साक्षी मलिक और बजरंग के साथ सड़क पर दौड़ा भगा रहे थे। काश, तत्कालीन खेल मंत्री और पीटी उषा ने आपका साथ दिया होता!
लेकिन दूसरा पक्ष कहता है कि आप इस भारत महान की सर्वकालीन श्रेष्ठ खिलाड़ी बनकर उभरी हैं। आपको उस अपराध की सजा मिली है, जो आपने किया ही नहीं। ईश्वर कभी किसी दुश्मन को ऐसी सजा न दे। भविष्य में क्या करना है, आपको फैसला लेना है। आप ने कुछ सोचकर ही कुश्ती से संन्यास लिया होगा। लेकिन आपके यूं जाने से भारतीय कुश्ती को और अधिक नुकसान हो सकता है। गुंडातंत्र आज भी कुश्ती सहित भारतीय खेलों पर हावी है, जिसकी सजा आपके समकालीन खिलाड़ी भुगत रहे हैं। यह जान लें कि आपका ढाढस बंधाने वाली पीटी उषा भी अब ‘ पिटी’ उषा रह गई हैं। मंत्री, सांसद, खेल महासंघ सभी अपनी-अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। खिलाड़ियों को बरगला रहे हैं।
“कुश्ती जीत गई, मैं हार गई” आपने यह कैसा संदेश दिया है। कल तक देश की हारी हुई कुश्ती को जिताने के लिए आप, साक्षी और बजरंग लड़-भिड़ रहे थे। सच तो यह है कि बिना ओलम्पिक पदक के भी आप जीत गई और भारतीय कुश्ती हार गई है।
शुभचिंतक,
राजेंद्र सजवान
(वरिष्ठ खेल पत्रकार)

Rajendar Sajwan

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
Share:

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *