भले ही भारतीय खेलों के कर्णधार क्रिकेट को लाख कोसें और उसे बाकी खेलों की सौतन बताएं, लेकिन क्रिकेट ने उनकी कभी परवाह नहीं की और मस्त हाथी की तरह अपनी चाल चलती रही। आज क्रिकेट उस मुकाम पर है, जहां बाकी खेल बहुत बौने नजर आने लगे हैं। सच कहूं तो क्रिकेट के उठान को देखते हुए बाकी खेलों की सोच और हालत पर तरस भी आता है।
शायद आप सोच रहे होंगे कि देश में चुनाव का मौसम चल रहा है और मोदी जी तीसरी बार अपनी सरकार बनाने जा रहे हैं, ऐसे में क्रिकेट का राग क्यों अलापा जा रहा है। इसलिए क्योंकि क्रिकेट वर्ल्ड कप खेला जा रहा है। इसलिए भी क्योंकि वर्ल्ड कप में एक बड़ा धमाका हुआ है। पाकिस्तान पर अमेरिका की सनसनीखेज जीत की शायद ही किसी ने कल्पना की होगी लेकिन क्रिकेट या किसी भी खेल में कभी भी कुछ भी हो सकता है। हालांकि वर्ल्ड कप को अभी लंबा सफल तय करना है। इस दौरान कई अप्रत्याशित परिणाम आ सकते हैं लेकिन पाकिस्तान पर अमेरिकी की संघर्षपूर्ण जीत इसलिए सुर्खियों में है, क्योंकि अमेरिका चार साल बाद लॉस एंजिल्स में होने वाले ओलम्पिक खेलों का मेजबान है। जिसमें 123 साल बाद क्रिकेट की वापसी हुई है और मुकाबले टी 20 प्रारूप से ही खेले जाएंगे।
यह सही है कि अमेरिकी टीम में ज्यादातर खिलाड़ी भारत-पाक मूल के हैं और अगले चार सालों में वेस्ट इंडीज, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में जन्में युवा भी अमेरिकी टीम का हिस्से बन सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने क्रिकेट के अलावा कुछ अन्य खेलों – बेसबॉल, सॉफ्टबॉल, स्क्वैश, लैक्रोस और फ्लैगफुटबॉल भी शामिल है।
जहां तक क्रिकेट की बात है तो यह खेल भारत में लोकप्रियता की तमाम सीमाएं लांघ चुका है और ओलम्पिक में भी शायद भारत खिताब का दावेदार हो सकता है लेकिन बाकी खेलों में कुछ भी गारंटी के साथ नहीं कहा जा सकता। सिर्फ अमेरिका ही नहीं, चीन, जापान, जर्मनी, रूस आदि देश हर खेल को गंभीरता से लेते आए हैं। ये देश जो ठान लेते हैं, कर गुजरते हैं।
अमेरिका जानता है कि क्रिकेट उसकी मेजबानी में ओलम्पिक में लौट सकता है, इसलिए उसने पाकिस्तान जैसे दमदार क्रिकेट राष्ट्र को पीट कर अपनी तैयारी के दर्शन भी करा दिए हैं। बेशक, बाकी देशों में खलबली जरूर मच गई होगी।