राजेंद्र सजवान
आईपीएल और तमाम भारतीय खेलों को अलग-अलग तोला जाए तो इंडियन प्रीमियर लीग (क्रिकेट) का पलड़ा बहुत भारी निकलेगा। यहां तक कहा जाता है कि बाकी खेलों का कुल बजट और तमाम खर्चों को एक तरफ रखें और क्रिकेट से तुलना करें तो यहां भी क्रिकेट बाजी मार जाएगी। इसका ज्वलंत उदाहरण दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में शनिवार शाम देखने को मिला। अवसर था अडानी दिल्ली प्रीमियर लीग का शुभारंभ, जिसकी चकाचौंध में किसी की भी आंखें फटी की फटी रह जाएं।करोड़ों की लीग के उद्घाटन समारोह में फिल्म और टीवी से जुड़े कई नामी कलाकारों ने समा बांधा, जिसको कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों की मौजूदगी में साक्षात देखा गया। बगल में सटे डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम में हालांकि अंधेरा छाया था लेकिन कार्यक्रम का लुत्फ उठाने वाले कुछ चेहरे स्टेडियम की दीवारों पर नजर आ रहे थे। दिल्ली क्रिकेट लीग (डीपीएल) की खबर टीवी चैनलों पर देर रात तक चलती रही।
खेल प्रेमी जानते ही हैं कि अम्बेडकर स्टेडियम सालों से फुटबॉल का गढ़ रहा है। इस स्टेडियम में डूरंड, डीसीएम के अलावा कई बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजन होते रहे हैं। लेकिन दिल्ली की फुटबॉल को संचालित करने वाली दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) आज तक डीडीसीए जैसी हैसियत नहीं बना पाई। हालांकि दिल्ली की क्रिकेट का भी पिछले कुछ सालों से पतन हो रहा है लेकिन कोटला मैदान पर डीपीएल के आयोजन ने स्थानीय क्रिकेट इकाई का कद ऊंचा उठा दिया है, जिसे देखकर बगल में दबे डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम को अपनी कार्यस्थली बताने वाले डीएसए का सिर शर्म से झुकना स्वाभाविक है।
क्रिकेट डीपीएल की खबरें फैलने पर फुटबॉल दिल्ली के कुछ पदाधिकारी कहते हैं कि ‘डीपीएल’ तो हमारी लीग है। दूसरा कहता है कि शायद नाम को ‘पेटेंट’ नहीं कराया होगा। खैर, नाम का झगड़ा बेकार की बात है। छह टीमों की क्रिकेट लीग के साथ ‘अडानी’ जुड़ा है। जाहिर है कि आयोजन खास है। वैसे भी जहां अडानी , अंबानी और जेएसडब्लू जैसे बड़े नाम जुड़े हैं उस आयोजन के बड़े कद को आसानी से समझा जा सकता है। जहां तक फुटबॉल लीग की बात है, उसका आयोजन अधर में लटका हुआ है। बी, सी डिवीजन और सांस्थानिक लीग का आयोजन दो साल से नहीं हो पाया। आरोप लगाए जा रहे हैं कि डीएसए के पदाधिकारी आपस में लड़-भिड़ रहे हैं। एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं और अपने बेटे बेटियों को चोर दरवाजे से राज्य टीमों में शामिल करने की तिकड़मों में जुटे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि मैदान उपलब्ध नहीं है और भाग लेने वाली 12 टीमों की तैयारी आधी-अधूरी ही है। देश के सात राज्यों में प्रीमियर लीग खेली जा रही है लेकिन देश की राजधानी की फुटबॉल लीग क्रिकेट की चकाचौंध तले दम तोड़ने को मजबूर है।
Rajendar Sajwan
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |