भले ही भारत ओलम्पिक खेलों में बड़ी ताकत नहीं है लेकिन आईओए की सलाह पर सरकार 2030 के यूथ ओलम्पिक और 2036 के ओलम्पिक खेल आयोजित करने के राजी हो गई है |
हालाँकि अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा लेकिन आईओए के एक सदस्य अधिकारी की मानें तो दावा करने से पहले ही भारतीय ओलम्पि समिति एक बड़े खतरे से घिर गई है | उसके अपने सदस्यों के बीच गुटबाजी का खेल चल रहा है। यह खेल इस कदर खतरनाक रूप धारण कर चूका है कि किसी भी क्षण बड़ा विस्फोट हो सख्त है और बना बनाया खेल बिगड़ सकता है ।
उधर एआईएफएफ का मसला शांत हुआ तो अब भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की गुटबाजी के कारण खेल संघों की परेशानी बढ़ गई है । पहले डाक्टर नरेंद्र ध्रुव बत्रा आईओए अधिकारीयों के अंतरकलह का शिकार बने और उन्हें न सिर्फ आईओ का शीर्ष पद छोड़ना पड़ा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के शीर्ष पद से भी इस्तीफ़ा देना पड़ा । डाक्टर बत्रा ने कोर्ट के आदेशानुसार पद छोड़ा और वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना को चुनाव होने तक अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया । लेकिन आईओए के एक धड़े को यह मंजूर नहीं था , जिसने आनन फानन में एथलेटिक फेडरेशन के अध्यक्ष आदिल सुमारिवाला को आईओए अध्यक्ष घोषित कर दिया |
इस तमाशेबाजी से नाराज अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने धमकी भरे सुर में भारीय खेल आकाओं को आगाह कर दिया है की यदि दिसंबर तक आईओए अपने चुनाव नहीं करता तो उसे लिलंबन के लिए तैयार रहना चाहिए | ऐसा होता है तो भारतीय खिलाडियों को नियमों के तहत राष्ट्रीय ध्वज के नीचे भाग लेने का प्रतिबंध झेलना पद सकता है |
आईओए की गुटबाजी देश के खेलों को कहाँ ले जाएगी, वक्त ही बताएगा लेकिन कोई भी खेल संघ सुधरने का प्रयास नहीं कर रहा । ज्यादातर गुटों में बंट कर खेल का अहित कर रहे हैं । बहुत कम खेल हैं जिनमें अमन चैन कायम है । आईओए और हॉकी इंडिया दोनों कोर्ट के दरवाजे पर खड़ी हैं और कोई भी फैसला भारतीय ओलम्पिक आंदोलन और हॉकी को शर्मसार कर सकता है । तमाम मार्शल आर्ट्स खेलों में दो या अधिक धड़े अपना अपना दावा कर रहे हैं वॉली बाल, बास्केट बाल , हैंडबाल जैसे खेल भी विवादों में घिरकर खिलाडियों का अहित कर रहे हैं | अर्थात भारतीय खेलों का अपना घर मजबूत नहीं है । ऐसे में आईओसी का एक तगड़ा झटका सब कुछ उजाड़ सकता है ।
यदि आईओए के अधिकारियों और सदस्यों ने गंभीरता नहीं दिखाई और आपस में लड़ते भिड़ते रहे तो देश के खेलों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई बड़े आयोजन भारत से छिन जकते हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |