भारतीय ओलम्पिक संघ के कोषाध्यक्ष , यूपी ओलम्पिक एसोसिएशन के महासचिव , हैंड बॉल फेडरेशन के पूर्व महासचिव और भारतीय खेलों के अन्य कई उच्च पदों पर रह चुके परम आदरणीय आनंदेश्वर पांडे के विरुद्ध बड़ी साजिश हुई है, ऐसा खुद पांडे जी कह रहे हैं । बरेली की रहने वाली एसएसबी में कार्यरत एक महिला सिपाही और हैंडबॉल खिलाडी ने उन पर शारीरिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं । सीमा शर्मा नाम की इस पूर्व खिलाडी ने भिवाड़ी, राजस्थान में पांडे के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है । पीड़िता ने मीडिया को दिए बयान में यह भी कहा है कि पांडे पहले भी कई लड़कियों को इंडिया खिलाने का झांसा दे कर उनसे खेलते रहे हैं ।
सीमा शर्मा के अनुसार पांडे वर्षों से महिला खिलाडियों का शोषण कर रहे हैं और डरा धमकाकर कई लड़कियों के साथ कुकर्म करते आ रहे हैं । जो नहीं मानतीं उनका करियर समाप्त करते आए हैं । तारीफ़ की बात यह है कि पांडे पेशे से शारीरिक शिक्षक रहे हैं और पिछले कई दिनों से उनकी अश्लील तस्वीरें वायरल हो रही थीं । मीडिया द्वारा इस बारे में पूछे जाने पर पांडे ने इसे अपने विरुद्ध बड़ी साजिश बताया ।
सवाल यह पैदा होता है कि उनके खिलाफ जाने की हिम्मत भला कौन कर सकता था । भारतीय खेलों के उच्च को सुशोभित करने वाले इन महाशय के विरुद्ध अभी कुछ और मामले सामने आ सकते हैं । कारण, पिछले कुछ महीनों में भारतीय ओलम्पिक संघ में जो घमासान मचा उसकी गाज किसी न किसी पर तो गिरने ही थी ।नरेंद्र बत्रा के जाने के बाद पांडे के साथ यह सब होना ही था लेकिन महिला खिलाडियों के साथ दुर्व्यहार का यह पहला मामला कदापि नहीं है ।
कुछ माह पहले उच्च पद पर आसीन देश के एक नामी तैराक के विरुद्ध एक महिला खिलाडी ने गंभीर आरोप लगाए थे । आरोप लगे, मीडिया ने चटखारे लेकर खबरें वायरल कीं और अंततः बड़े अधिकारी होने का फायदा गुनहगार को मिल गया । हॉकी और फुटबाल में क्या कुछ नहीं हुआ । कोच पर महिला खिलाडियों ने अश्लील हरकतों के आरोप लगाए , फुटबाल फेडरेशन के सचिव पर उसके अधीनस्त काम करने वाली महिला ने आरोप लगाया लेकिन किसी को कोई सजा नहीं मिली । मुक्केबाजी भी नंगपने से नहीं बच पाई तो जूडो, कराटे, ताइक्वांडो , निशानेबाजी जैसे खेलों में दर्जनों मामले फेडरेशनों , और खेल मंत्रालय की फाइलों में दबे पड़े हैं ।
पांडे का मामला इसलिए उछाल मार गया क्योंकि आरोप लगाए जाने पर उन्होंने मामले को दबाने की बजाय भड़काने का काम किया । आईओए के हमाम में इस तरह के और भी चेहरे हो सकते हैं जिनको एक्सपोज होने में समय जरूर लगेगा । पांडे किस हद तक कुसूरवार हैं यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा । अक्सर यह भी देखा गया है कि लोक लाज और पारिवारिक कारणों से महिला खिलाडी थक हार जाती हैं और समझौते या समर्पण के लिए बाध्य हो जाती हैं ।
फिलहाल आईओए, उत्तरप्रदेश खेल विभाग और हैंडबाल फेडरेशन ने आनंदेश्वर पांडे से पल्ला झाड़ लिया है , क्योंकि कोई भी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता । वैसे भी ये नंगपना भारतीय खेलों का चरित्र बन गया है ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |