फुटबॉल जगत में आजकल यूरो कप की धूम मची है लेकिन कतर द्वारा भारतीय टीम पर जमाया गया विवादास्पद गोल अपने देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह वही गोल है जिसने कतर को वर्ल्ड कप क्वालीफायर के तीसरे दौर में पहुंचा दिया और भारत का सपना टूट गया। हालांकि कतर विवादास्पद गोल से 2-1 की जीत दर्ज कर चुका है और फैसला जस का तस रहेगा। लेकिन अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने कतर के विवादास्पद गोल की जांच की मांग की है। एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे ने बकायदा विश्व संस्था फीफा और एशियाई फेडरेशन एएफसी को लिखित शिकायत भेजी है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक गोल की बढ़त बनाने वाली भारतीय टीम पर बराबरी का गोल भारी पड़ा और अंतत: एक और गोल खाकर भारत क्वालीफायर से बाहर हो गया। सीधा सा मतलब है कि भारतीय फुटबॉल की सालों की मेहनत पर पानी फिर गया। ऐसे में भारतीय फुटबॉल प्रेमियों का गुस्सा होना वाजिब है। रेफरी, लाइनमैन की गलती का खामियाजा उस देश को भुगतना पड़ा, जो कि पिछले साठ सालों से फुटबॉल जगत में वापसी के लिए संघर्षरत है, जी जान से जुटा है। अनेक विदेशी कोच बुलाए गए और खिलाड़ियों को अदला-बदला गया फिर भी परिणाम जस का तस है। देश के फुटबॉल प्रेमी सालों से अपनी टीम से बड़े चमत्कार की अपेक्षा लगाए बैठे हैं। लेकिन हालत बद से बदतर हो रहे हैं। ऐसे में ‘गोल’ नकारा जाना पीड़ादायी रहा। लेकिन इस बारे में जब कुछ पूर्व खिलाड़ियों से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि रेफरी-लाइनमैन से चूक हो सकती है। लेकिन साथ ही यह भी कहते हैं कि जो देश सात मैचों में एक भी मैदानी गोल नहीं दाग पाया उसका दर्द समझ आता है।
सुनील छेत्री की छाया से बाहर निकली टीम ने अंतत: गोल शून्य सात मैचों के बाद गोल जमाया। कोई भी कल्पना कर सकता है कि जो टीम गोल करना भूल गई हो और लीड लेने के बाद गलत निर्णय का शिकार हो जाए तो उस पर क्या बीत रही होगी।
संतोष की बात यह रही कि छांगटे ने बढ़त दिलाने वाला गोल किया और यह दर्शा दिया कि सुनील के बाद वह गोल करने की जिम्मेदारी निभा सकता है। साथ ही भारतीय फुटबॉल के कर्णधारों को भी यह जान लेना चाहिए कि फुटबॉल के मायने ही ‘गोल’ है। जो खिलाड़ी, टीम या देश इस कला में माहिर है, वही आगे बढ़ सकते है। वरना उसके लिए गोल का मतलब ‘जीरो’ है। अफगानिस्तान और कतर की ‘बी’ टीमों से हारने के बाद भारतीय फुटबॉल का विलाप कहां तक सही है, आप ही बताएं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |