केंद्रीय सूचना प्रसारण एवम युवा मामलों और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी अग्निवीर की तरफ सांत्वना का हाथ बढाया है। हाल ही में मंत्री जी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि खेल एवम युवा मामलों का मंत्रालय अग्निवीर को चार साल बाद रोजगार देने पर विचार करेगा। एक सच्चाई पर से पर्दा हटाते हुए उन्होंने कहा कि देश में फिजिकल एजुकेशन से जुड़े 15 लाख पद खाली पड़े हैं और सरकार इस दिशा में सोच रही है।
सीधा सा मतलब है कि सरकार जरूरत पडने पर अग्निवीर से शारीरिक शिक्षकों का काम भी ले सकती हैं। अर्थात शारीरिक शिक्षक नाम के प्राणी को कुछ और कुर्बानी के लिए तैयार रहना होगा। लेकिन अच्छी बात यह है कि मंत्री महोदय ने यह माना है कि लाखों पद खाली पड़े हैं। अब तक जिम्मेदार लोग मौन साधे थे।
हैरानी वाली बात यह है कि एक तरफ तो सरकार और उसके यस मैंन अग्निवीर के लिए मौके तलाश रहे है तो दूसरी तरफ शारीरिक शिक्षकों की रही सही उम्मीद तोड़ने का जुगाड़ भी कर रहे है। एक तरफ सरकार देश में खेलों केलिए माहौल बंनाने और भारत को खेल महाशक्ति बनाने के सपने दिखा रही है तो दूसरी तरफ उन शारीरिक शिक्षकों को पड़ताडित किया जा रहा है जिन पर फिट और हिट इंडिया का भविष्य टिका है।
लाखों पद खाली होने का मतलब है कि देश में शारीरिक शिक्षा को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा। एक सर्वे से पता चला है कि कोरोन के चलते सबसे ज्यादा पडताड़ना शारीरिक शिक्षकों को झेलनी पड़ी। हजारों की नौकरी गई तो कुछ ने परेशान हो कर आत्म हत्या भी कर डाली। अब यदि लाखों पदों पर चार साल की ट्रेनिंग वाले युवाओं को भर्ती किया जाता है तो उन शिक्षकों को बड़ी ठेस पहुँचेगी जोकि पिछले कई सालों से बेरोजगार हैं।
समय समय पर देश के बेरोजगार शारीरिक शिक्षक और कोच सरकार से निवेदन करते रहे हैं लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं होती।
जिस देश में शारीरिक शिक्षा से सम्बद्ध 6500 कालेज हैं, जहां से लगभग 45 हजार युवक हर साल पास आउट होते हैं, जहां दो राष्ट्रीय खेल विद्यालय और चार राज्य विश्वविद्यालय अस्तित्व में हैं और चार खुलने को हैं,ऐसे देश में अग्निवीर शारीरिक शिक्षकों के दायित्वों का निर्वाह करेंगे तो असली हकदार कहां जाएंगे?
एक तरफ तो खेल और शरीरिक शिक्षा को अनिवार्य विषय बनाने पर जोर दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ क्वालिफाइड शिक्षक और कोच भूखों मरने को मज़बूर हैं। उनसे हर वो कार्य करवाया जाता है, जिसके बारे में कोई सोच नहीं सकता, जिसे युवा आग्निवीर भी कतई नहीं करना चाहेँगे!
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |