राजनीति का खेल , पास कम ज्यादा फेल

PT Usha is the least popular sports person

दलगत राजनीति में लिप्त होने या किसी भी राजनीतिक पार्टी का दामन थामने वाले खिलाड़ियों की संख्या बहुत अधिक नहीं है । खेल से राजनीति में दाखिल होने वाले सफल खिलाड़ी भी बहुत कम हैं। लेकिन यह सत्य है कि खेल मैदान छोड़ राजनीति में कूदने वाले सफल खिलाड़ियों को उंगली पर गिना जा सकतहै। इन खिलाड़ियों में पीटी ऊषा हाल फिलहाल शामिल हुई हैं और खूब चर्चा में हैं।

पिछले कुछ दिनों में जिन खिलाड़ियों ने सर्वाधिक चर्चा बटोरी है, उनमें पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट का नाम सुर्खियों में है। कुश्ती फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह पर यौन शौषण के आरोप लगाने वाले इन पहलवानों के बारे में गाहे बगाहे कहा जा रहा है कि उनका इरादा दलगत राजनीति में उतरने का है। हालांकि पहलवानों ने हमेशा आरोपों को बेबुनियाद बताया लेकिन उन पर विपक्ष के हाथों खेलने के आरोप लगते आ रहे हैं, हालांकि सभी पहलवानों ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है । फिरभी भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हो सकता है एक दिन इनमें से कोई एक या सभी राजनीति के अखाड़े में उतर जाएं। लेकिन उन्हें यह याद रखना होगा कि खेल से राजनीति में उतरने वाले भारतीय खिलाड़ियों में से ज्यादातर खेल प्रेमियों की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए।

पीटी उषा का उदाहरण ताजा है। ऊषा राज्य सभा के रास्ते राजनीति में प्रविष्ट हुई । उसे आईओए का अध्यक्ष बनाया गया लेकिन पहलवानों के विवाद के मामले में उसके फैसलों को नापसंद किया गया। इसमें दो राय नहीं कि पीटी ऊषा भारतीय एथलेटिक इतिहास की सबसे सफल और चर्चित महिला एथलीट रही हैं। भले ही वह ओलंपिक पदक नहीं जीत पाई फिरभी उसे सिर आंखों बैठाया गया। लेकिन राजनीति में फिलहाल उसे सिर्फ आलोचना ही मिली।

राज्य वर्धन राठौर ने ओलंपिक में रजत पदक जीता। राजनीति में उतरे और देश के खेल मंत्री बने। लेकिन खिलाड़ियों और खेल संघों ने उन्हें सिरे से नकार दिया। हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह को खेल ने नाम सम्मान, पैसा शोहरत और सब कुछ दिया लेकिन अपने दुराचरण के कारण उसे नापसंद ही किया गया। और भी बहुत से खिलाड़ी हैं , जिन्होंने अपनी खेल उपलब्धियों के कारण राजनीति में जगह पाई लेकिन बहुत कम हैं जिनको पसंद किया जाता है। हां, पहलवान योगेश्वर दत्त और मुक्केबाज विजेंदर सिंह की पहचान कुछ हटकर जरूर है। भले ही अभी कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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