दुनिया भर में और खासकर यूरोप में पेशेवर लीग मुकाबलों के आयोजन के बाद अब फुटबाल प्रेमियों को कतर वर्ल्ड कप का इन्तजार है। विश्व कप कौन जीतेगा, यूरोप या लेटिन अमेरिका का कोई देश या कोई एशियाई देश पहली बार खिताब चूम सकता है? ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब कुछ महीने बाद मिल पाएगा। लेकिन भारतीय खेल प्रेमियों को सुनील क्षेत्री के उत्तराधिकारी के बारे में फिलहाल कोई संकेत तक नहीं मिल पाया है।
उधर दुनिया के तीन बेहतरीन खिलाडियों ने एक बार फिर से देश के लिए गोल जमाने का सिलसिला शुरू कर दिया है। क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लियोन मेस्सी और नेमार जूनियर ने अपने अपने देशों के लिए खेलते हुए यह दिखा दिया है कि उनमें अभी कमसे कम एक और वर्ल्ड कप खेलने और जीतने का माद्दा है। पुर्तगाल के सर्वकालीन महान खिलाडी रोनाल्डो भले ही अपने क्लब को चैम्पियन नहीं बना पाए लेकिन देश के लिए उन्होंने अपनी तैयारी के दर्शन करा दिए हैं।
मेस्सी ने एस्टोनिया के विरुद्ध पांच गोल दागकर उन आलोचकों के मुंह बंद कर दिए हैं जोकि उनकी काबिलियत पर शक करने लगे थे। नेमार भी ब्राज़ील के मैच विजेता का रोल निभा रहे हैं। सैंतीस वर्षीय रोनाल्डो की तुलना में नेमार काफी छोटे हैं लेकिन कुछ माह पहले उन्होंने यहां तक कह दिया था कि शायद ही कतर वर्ल्ड कप में खेल सकें। ब्राजील को उनके जैसे स्टार खिलाडी की जरुरत है, यह हर कोई जानता है।
कतर वर्ल्ड कप कोई भी जीते लेकिन यह भी तय है कि कुछ नए खिलाडी अपनी चमक बिखेर कर रोनाल्डो, मेस्सी और नेमार जैसे सितारों को हैरान कर सकते हैं। ऐसा हमेशा से होता आया है और शायद एक और वर्ल्ड कप कुछ सितारों की चमक का गवाह बनेगा तो कुछ खिलाडी इतिहास बन कर रह जाएंगे। वर्ल्ड कप में भाग लेने वाले हर देश के कुछ नये खिलाडी उभरेंगे लेकिन भारतीय फुटबाल की किस्मत में शायद कुछ और बदा है।
भारतीय फुटबाल आज जिस मुकाम पर खड़ी है वहां से सिर्फ निराशा और हताशा नजर आती है। प्रफुल पटेल के अध्यक्ष रहते हमारी फुटबाल की लगभग पूरी हवा निकल चुकी है। एशियाड, ओलम्पिक और वर्ल्ड कप जैसे आयोजन भारतीय फुटबाल के लिए स्वप्न समान हो गए हैं। सालों से बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं पर फेडरेशन अधिकारी तमाम झूठे वाडे कर भी थकने का नाम नहीं लेते। विदेशी कोच आते हैं, सब्जबाग दिखाते हैं और अंततः यह उलाहना देकर चले जाते हैं कि भारतीय फुटबाल कभी नहीं सुधर सकती।
भारतीय फुटबाल की सबसे बड़ी चिंता यह है कि स्टार स्ट्राइकर सुनील क्षेत्री का विकल्प कौन होगा? कौन भारतीय नैया का खेवैया बन कर उभरेगा? सच तो यह है कि ऐसा कोई खिलाडी दूर दूर तक दिखाई नहीं पड़ रहा। भारतीय टीम की छुट पुट कामयाबी के हीरो रहे सुनील के बाद राष्ट्रीय टीम का क्या होगा और क्या उसके बाद भारत सैफ कप जैसे आयोजन में भी कामयाब हो पाएगा, जैसे सवाल अभी से उठने लगे हैं। सुनील ने भी संकेत दे दिया है कि वह करियर के आखिरी दौर से गुजर रहे हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |