खेल कोटे के नाम पर लूट का खेल

sports quota fraud

देर से ही सही देश की राज्य और राष्ट्रीय सरकारों को खेलों का महत्व समझ आ गया है। यही कारण है कि कई सालों तक खिलाड़ियों की भर्ती के साथ चल रहा मजाक कुछ कम हुआ है और अब फिर से खिलाड़ियों को सरकारी और गैर-सरकारी विभागों में रोजगार दिया जाने लगा है। लेकिन ‘इस हाथ दे और उस हाथ ले’ का खेल चिंता का विषय माना जा रहा है। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, टीम खेलों में लाखों का चढ़ावा चढ़ रहा है।
खिलाड़ियों को रोजगार देने वाले सरकारी और गैर-सरकारी विभागों पर नजर डालें तो भारतीय रेलवे ने अपनी स्थापना के बाद से ही हजारों खिलाड़ियों को रोजगार दिया, जिनमें अनेकों ओलम्पियन, पद्मश्री, पद्मभूषण, खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्डी शामिल हैं। रेल के खेल प्रेम को सलाम तो बनता है। अन्य विभागों में भारतीय वायुसेना, नौसेना और सेना ने देश के खेलों को सजाया-संवारा और खिलाड़ियों को अपने बेड़े में शामिल कर उनके भविष्य और परिवारों को बेहतर जीवन दिया। जो सरकारी विभाग वर्षों से भारतीय खेलों की सेवा में लगे हैं और जिन विभागों की कृपा से देश के लाखों घरों के चूल्हे जलते हैं, उनमें भारतीय खाद्य निगम, एजीसीआर, पोस्टल, डीडीए, डेसू, कस्टम, सेंट्रल एक्साइज, स्टेट बैंक, पीएनबी, ओरियंटल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, नवरत्न ऑयल कंपनियां, और कई विभाग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को नौकरी दे कर अपने विभाग की ताकत बढ़ाते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में खिलाड़ियों की भर्ती को या तो बंद कर दिया गया या फिर लाखों के लेन-देन से खिलाड़ियों की भर्ती की जा रही है। ऐसी उड़ती-उड़ती खबर खिलाड़ियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

चूंकि टीम खेलों में खिलाड़ियों की नियुक्ति का कोई ठोस पैमाना नहीं, इसलिए फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट, कबड्डी, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, बास्केटबॉल आदि खेलों में पैसे का खेल खिलवाड़ बन चुका है। हालांकि खुलकर कोई भी नहीं बोलना चाहता लेकिन बहुत से खेलों से जुड़े खिलाड़ी और कोच कह रहे हैं कि खिलाड़ियों की भर्ती अब योग्यता के आधार पर नहीं हो रही है। जो बड़ा चढ़ावा चढ़ाएगा उसे नौकरी मिल जाती है और काबिल खिलाड़ी देखते रह जाते हैं। कुछ असंतुष्ट तो ताल ठोककर यहां तक कह रहे हैं कि साल 2023-24 की भर्तियों की पड़ताल की जाए तो खेल कोटे की नौकरियों का नंगा खेल सामने आ जाएगा। खासकर, सरकारी विभाग खेल कोटे के हमाम में नंगे हैं और टीम खेलों की फर्जी भर्तियों का खेल बदस्तूर जारी है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
Share:

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *