फुटबाल विश्व कप का बिगुल बज चुका है । जो देश विश्व कप के लिए क्वालीफाई हुए हैं उनकी तैयारी जोरों पर है और ज्यादातर ने अपनी टीमों की घोषणा भी कर दी है| सड़कों चौपालों , दफ्तरों और होटल रेस्तोरां में फुटबाल की चर्चा चल पड़ी है लेकिन भारत महान में कहीं कोई शोर शराबा सुनाई दिखाई नहीं दे रहा| पता नहीं दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र क्यों सोया पड़ा है ? क्यों वह पहले जैसा जोश कहीं दिखाई सुनाई नहीं पड़ रहा ?
पिछले कुछ सालों में बार बार एक डायलॉग सुनने को मिल रहा है कि भारत खेल महाशक्ति बनने जा रहा है, यह भी दावा किया जाता है कि भारत फुटबाल में बड़ी ताकत बनने की तरफ अग्रसर है | लेकिन कैसे, खुद खेलों की वकालत करने वालों को नहीं पता । उन्हें यह भी पता नहीं कि जिन खेलों से देश खेल महाशक्ति बनेगा उनमें क्रिकेट शामिल नहीं है । दुनिया के दस देशों का खेल दो सौ देशों पर भले ही भारी न पड़े लेकिन क्रिकेट ने भारत में फीफा वर्ल्ड कप का बैंड जरूर बजा दिया है । इसमें दो राय नहीं की फुटबाल में भारत की हैसियत हास्यास्पद है लेकिन जब कभी फीफा वर्ल्ड कप का शंख नाद होता है भारतीय फुटबाल प्रेमी कई महीने पहले जाग जाते हैं । उन्हें जगाता है देश का मीडिया लेकिन इस बार ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा ।
कुछ दशक पहले तक भारतीय मीडिया ने फुटबाल को लोकप्रिय बनाने और फुटबाल को घर घर तक पहुंचाने में बड़ा रोल अदा किया लेकिन इसबार हमारे प्रचार माध्यम गन्दी राजनीति और क्रिकेट की जूठन चाटने में व्यस्त है । खासकर प्रिंट मीडिया क्रिकेट के पागलपन में ऐसे डूबा है जैसे फीफा वर्ल्ड कप और फुटबाल को कवर न करने का कोई सरकारी आर्डर जारी कर दिया गया हो । यह सही है कि क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है लेकिन यह न भूलें कि भारतीय फुटबाल की हैसियत ज़ीरो होने के बावजूद फुटबाल को प्यार और आदर देने वालों की संख्या करोड़ों में है । इसलिए क्योंकि यह खेल पूरी दुनिया का खेल है और जो देश इस खेल का बादशाह है वही असली चैम्पियन कहलाता है ।
कुछ महीनों से देश के तमाम प्रचार माध्यम इस चिंता में हैं क़ि यदि भारत क्रिकेट वर्ल्ड कप नहीं जीत पाया तो क्या होगा और यदि कहीं पकिस्तान जीत गया तो हमारे लिए चुल्लू भर पानी में डूबने वाली बात हो सकती है । लेकिन कोई भी यह नहीं पूछ रहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और चीन के बाद दूसरी बड़ी आबादी वाला देश फुटबाल वर्ल्ड कप में क्यों नहीं खेल रहा या कब वर्ल्ड कप खेलेगा । यह न भूलें कि ईस्ट दिल्ली से भी काम आबादी वाला कुवैत विश्व कप आयोजित कर रहा है, यूपी के एक छोटे से जिले के बराबर आबादी वाले देश इस प्रतिष्ठित आयोजन में भाग ले रहे हैं और अफ्रीका और लेटिन अमेरिका के गरीब और समस्याग्रस्त देश फीफा कप में खेल कर देश वासियों के गम भुला रहे हैं और उन्हें गौरवान्वित कर रहे हैं ।
बेशक भारतीय क्रिकेट ने सालों साल की मेहनत से बड़ा मुकाम बनाया है और फुटबाल ने सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया । जो देश कभी फुटबाल में एशिया का चैम्पियन था जिसने चार ओलम्पिक में भाग लिया उसकी हैसियत फिसड्डी की रह गई है | लेकिन मीडिया ने अपना रोल कैसा निभाया , उसे गिरेबान में जरूर झाँक लेना चाहिए!
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |