ओलम्पिक एशियाड या किसी बड़े खेल आयोजन की नाकामयाबी के बाद यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र 140 करोड़ की आबादी में से कुछ एक चैम्पियन ही क्यों पैदा कर पाता है? क्यों हमारे खिलाडियों और खेल आकाओं को अंतर्राष्ट्रीय खेल मंचों पर शर्मसार होना पड़ता है? देश के खेल जानकार, विशेषज्ञ, खेल वैज्ञानिक और खेल आका चाहे कोई भी बहाना बनाएं, कितने भी मासूम बनें लेकिन सच्चाई वे भी जानते है। लेकिन सच बोलना और भारतीय खेलों के नंगपने को एक्सपोज करना उनके चरित्र में नहीं है।
भारतीय खेलों के कर्णधार, खेल मंत्रालय, खेल संघ और तमाम जिम्मेदार इकाइयां जानती हैं कि किसी भी देश के खेलों की बुनियाद स्कूलों पर टिकी है। स्कूल स्तर पर खिलाडियों को जो कुछ सिखाया पढ़ाया जाता है वे उसी प्रकार और प्रवृति के खिलाडी बनते हैं। अब जरा आप भारतीय स्कूली खेलों पर गौर फरमाएं। स्कूली खेलों में हर तरफ अफरा तफरी, लूट खसोट, भ्र्ष्टाचार और व्यविचार का साम्राज्य है। निर्धारित आयु सीमा से कहीं बड़े खिलाडी छोटी उम्र की प्रतिभाओं को दबोच रहे हैं , उनके बचपने को बर्बाद कर रहे हैं और उन्हें खेल मैदान से हटने के लिए विवश कर रहे हैं।
जानते हैं ऐसा क्यों हो रहा है, क्योंकि भारत में स्कूली खेलों का कारोबार एक महांभ्र्ष्ट, गुटबाज , नकारा और लुटेरी संस्था के हाथों चल रहा है। स्कूल गेम्स फेडरेशन नाम की यह संस्था अपने जन्मकाल से ही भारतीय खेलों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। पिछले पैंतीस सालों में इस संवाददाता ने एसजीएफआई के कारनामों को करीब से देखा परखा और पाया कि एसजीएफआई को किसी से खौफ नहीं है। उसे सरकार और खेल मंत्रालय का भी डर नहीं क्योंकि उसे सुरक्षा देने वाले और काली करतूतें दबाने वाले नेता -अभिनेता मंत्रालयों में भी बैठे हैं।
वरना क्या कारण है कि बार बार खेल मंत्रालय द्वारा अमान्य करार दिए जाने के बाद भी एसजीएफआई फिर फिर प्रकट होती है और खिलाडियों, उनके माता पिता को लूटती है! दो-तीन धड़ों में बंटी इस इकाई द्वारा
एक बार फिर से घिनौना खेल खेला जा रहा है। पिछले तीन सालों से राष्ट्रीय खेलों का आयोजन नहीं हो पाया है लेकिन फ़्रांस में आयोजित होने वाले वर्ल्ड स्कूल गेम्स में भारतीय खिलाडी भाग लेने जा रहे हैं। पता चला है कि उनसे ढाई-तीन लाख की मांग की जा रही है कुछ खिलाडियों के अनुसार उन्होंने बाकायदा भुगतान भी कर दिया है। कोच और अधिकारीयों का खर्च एसजीएफआई उठा रही है और खिलाडियों से पैसा माँगा जा रहा है। है न कमाल की बात। वाह रे मेरे भारत महान!
कुछ अभिभवकों, ओलम्पियनों, द्रोणाचार्यों, और अन्य राष्ट्रीय खेल पुरस्कार प्राप्त हस्तियों ने सीबीआई जांच की मांग तक कर डाली है , क्योंकि मामला गंभीर है और देश के खेल भविष्य से जुड़ा है। आखिर क्यों कुछ लोग पिछले तीस-चालीस सालों से देश के खेल खिलाडियों को बर्बाद करने पर तुले हैं? क्यों उन्हें बार बार माफ़ कर दिया जाता है? आखिर कौन लोग हैं जोकि एसजीएफआई के पापों पर बार बार पर्दा डालते है, पूछता है खेलों में फिसड्डी इंडिया।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |