पिछले कई सालों से एक सवाल बार बार पूछा जाता है कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला अपना देश ओलम्पिक, एशियाड और अन्य बड़े अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की पदक तालिका में क्यों पिछड़ जाता है? हालांकि कारण बहुत से हैं लेकिन खेल एक्सपर्टस, पूर्व खिलाड़ी और जानकारों की मानें तो स्कूल स्तर पर पर्याप्त प्रोत्साहन क़े अभाव में बहुत सी प्रतिभाएँ उभरने से पहले ही मुरझा जाती हैं या उन्हें आधे रास्ते में खेलों से नाता तोडना पड़ता है l स्कूली खेलों की गन्दी राजनीति क़े चलते कुछ प्रतिभावान खिलाड़ी खेल और पढ़ाई से तालमेल नहीं बैठा पा रहे l परिणाम यह निकलता है कि ज्यादातर उभरते खिलाड़ी स्कूली शिक्षा क़े चलते खेल से नाता तोड़ लेते हैं l कुछ पूर्व चैंपियन मानते हैं कि कुछ साल पहले तक देश भर क़े स्कूलों में खेलों क़े लिए बेहतर माहौल था l तब जबकि महाबली सतपाल स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया क़े अध्यक्ष पद पर विराजमान थे l लेकिन अब ऐसा नहीं है l
. यह सही है कि सतपाल खुद नामी पहलवान थे एशियायी खेलों क़े स्वर्ण विजेता सतपाल ने ओलम्पिक सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भारतीय कुश्ती को गौरवान्वित किया l क्योंकि बड़े खिलाड़ी थे इसलिए एसजीएफआई अध्यक्ष पद पर रहते बड़े बड़े निर्णय लेने में सफल रहे l तब दिल्ली क़े स्कूल 14, 17 और 19 साल क़े सभी आयुवर्गों में प्राय नंबर एक पर थे l सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, बजरंग पूनिया, सानिया मिर्ज़ा, विजेंद्र सिँह, सुनील क्षेत्री, दर्जनों चैंपियन पहलवान, हॉकी ओलम्पियन और अन्य खेलों क़े बड़े नाम सतपाल क़े नेतृत्व में चमक बिखेरने में सफल रहे और आगे बढे l लेकिन अब हालात पहले जैसे नहीं रहे l महाबली सतपाल क़े सेवानिवृत होने और एसजीएफआई क़े नेतृत्व परिवर्तन क़े चलते स्कूली खेल महज तमाशा बन कर रह गए हैं, ऐसा पूर्व चैंपियनों की राय है l
एसजीएफ आई की राजनीति खेलों पर भारी पड़ रही है, एक धड़े का ऐसा मानना है लेकिन दूसरा धड़ा कह तहा है कि अब पहले क़े मुकाबले बेहतर काम हो रहा है जिसके नतीजों क़े लिए थोड़ा इन्तजार करना पड़ेगा l नये पदाधिकारियों क़े अनुसार सब कुछ ट्रांसपेरेंट है और एसजीएफ आई सतपाल क़े रिटायरमेंट क़े बाद फिर से रफ़्तार पकड़ रहा है l लेकिन सतपाल क़े पद पर रहते
स्कूली खेल मीडिया की पहली पसंद थे l आज आलम यह है कि इन खेलों को मीडिया भाव नहीं देता l यूँ भी कह सकते हैं कि एसजीएफआई में सब कुछ गुपचुप चल रहा है l क्या ऐसा है?
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Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |