स्कूली खेल : सरकारी नकरापन के शिकार

SGFI CBI enquiry is needed

इसमें दो राय नहीं कि स्कूली खेल किसी भी खेल की रीढ़ होते है और जिन देशों में स्कूल स्तर पर खेलों को अपनाया जाता है और बढ़ावा दिया जाता है उनके पास अंतरराष्ट्रीय पदकों का अंबार लगा है। उदाहरण के लिए अमेरिका, चीन, जापान, फ्रांस, रूस, जर्मनी आदि देशों का खेल ढांचा इसलिए मजबूत है क्योंकि ग्रासरूट और स्कूल स्तर पर उनके खिलाड़ियों को बढ़ावा दिया जाता है। यही कारण है कि जब इन देशों के खिलाड़ी स्कूल से बाहर निकलते हैं तो कई एक ओलंपिक पदक तक जीतने की योग्यता रखते हैं।

तैराकी, जिम्नास्टिक, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, एथलेटिक आदि खेलों में ऐसे बहुत से ओलंपिक चैंपियन हुए हैं जिन्होंने स्कूली शिक्षा के चलते विश्व और ओलंपिक चैंपियन बनने के गुर सीख लिए थे। लेकिन अपने देश में स्कूली खेल महज तमाशा और खानापूरी बनकर रह गए हैं। वरना क्या कारण है कि पिछले तीन साल से इन खेलों का आयोजन नहीं किया गया? यह सही है कि पैंडेमिक के चलते राष्ट्रीय स्कूली खेल आयोजन प्रभावित हुआ लेकिन स्कूली खेल फेडरेशन (एसजीएफआई) की गुटबाजी ने इन खेलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। चूंकि खेल नहीं हो रहे इसलिए स्कूल से कॉलेज पहुंचने वाले खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटक गया है।

स्कूल स्तर पर 14, 17 और 19 साल के आयु वर्गों में खिलाड़ियों को भाग लेने का अवसर मिल पाता है। लेकिन चूंकि आयोजन नहीं हो पा रहा इसलिए प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए कॉलेजों के दरवाजे लगभग बंद पड़े हैं। कोरोना एक कारण रहा लेकिन सबसे बड़े फसाद की जड़ एसजी एफआई रही है, जिसके अधिकारी कुर्सी के लालच में आपस में लड़ते भिड़ते रहे । इन सत्तालोलुपों ने कभी भी देश के खेल भविष्य और खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में जरा भी नहीं सोचा । नतीजन खेलों में भारत अन्य देशों की तुलना में कई साल पीछे छूट गया है।

वैसे भी दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश खेल जगत में उपहास का पात्र रहा है। अब यह गैप और ज्यादा बढ़ गया है, जिसके नतीजे आगामी एशियाड और ओलंपिक में सामने आ सकते हैं। यह ना भूलें कि खिलाड़ी और खेल विशेष के लिए एक एक दिन महत्वपूर्ण होता है। लेकिन जब फासला सालों का हो तो नुकसान का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

हैरानी वाली बात यह है गुटबाजी और भरष्टाचार की शिकार एसजीएफआई का चुनाव हुए कई महीने बीत चुके हैं लेकिन राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलों के आयोजन का सिलसिला शुरू नहीं हो पाया है। उम्र की धोखाधड़ी, और तमाम घपलेबाजियों के लिए कुख्यात एसजीएफआई न सिर्फ स्कूली खिलाड़ियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है , देश का खेल भविष्य भी गर्त में डूबो रही है। हैरानी वाली बात यह है कि हमारी खेल प्रेमी सरकार सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनी हुई है। उसे खेलों इंडिया और फिट इंडिया जैसे बेमतलब आयोजनों से फुर्सत कहां है!

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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