अक्सर देखा गया है कि खिलाड़ी खेल मैदान से हटने के बाद अलग थलग पड़ जाते हैं। अपने पूर्व साथियों और भावी पीढ़ी के साथ उनका ताल मेल नहीं रह जाता। आम तौर पर टीम खेलों में देखा गया है कि सन्यास के बाद खिलाड़ी एक दूसरे से मिलने का समय तक नहीं निकाल पाते, जिसका असर उनके स्वास्थ्य और सामाजिक संबंधों पर तो पड़ता ही है, उन्हें अकेला पन भी घेर लेता है।
दिल्ली के पूर्व फुटबॉल खिलाड़ियों ने एक दूसरे के हाल चाल पूछने और दुख दर्द बांटने के लिए कुछ साल पहले एक अनोखा तरीका खोज निकाला था ,जोकि अब वेटरन खिलाड़ियों को रास आने लगा है। राजधानी के जाने माने फुटबाल खिलाड़ियों मेराजुद्दीन सिद्दकी और जूलियस सीजर ने 15 मई 2016 को ,”रिचार्जड फुटबॉलर” नाम का एक संगठन तैयार कर एक ऐसा प्रयोग किया जिससे दिल्ली के फुटबाल खिलाड़ियों को एकजुट किया जा सके। अब तक इस ग्रुप में लगभग दो सौ खिलाड़ी जुड़ चुके हैं और “Recharged Veterans of Delhi” नाम के ग्रुप में सदस्यों की तादात लगातार बढ़ रही है। तारीफ़ की बात यह है कि यह वेटरन ग्रुप दूर दूर तक चर्चा का विषय बना हुआ है।
पिछले कुछ महीनों में दिल्ली और देश ने बहुत से खिलाड़ियों और कोचों को खोया है,जिनके बारे में टीवी चैनलऔर समाचारपत्र खामोश रहे। वेटरन खिलाड़ियों ने 27 फरवरी को कोलकाता के बड़े कलबों में खेलने वाले सुभाष भौमिक, सुरजीत सेन गुप्ता औरअन्य के साथ दिल्ली के नामी खिलाड़ियों, कोचों, रैफरियों को याद किया और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। दिल्ली के नामी गोलकीपर हकीकत, बहुचर्चित रेफरी बच्ची राम, खेल पत्रकार नोवी कपाडिया, ओलम्पियन एसएस हकीम, फुटबाल गुरु ओपी मल्होत्रा, दिल्ली फुटबाल के पूर्व सचिव सुनील घोष, खिलाडी इकबाल, साबिर अली, अतीक अहमद, आदिल, नरेंद्र कालिया, अरूप नंदी, राज शर्मा, अरुण रॉय, डीके बोस को भले ही मीडिया ने भुला दिया। उनकी मौत पर दो अक्षर की खबर तक नहीं छपी लेकिन अंबेडकर स्टेडियम में आयोजित बैठक में उन्हें दिल से याद किया गया।
जाने माने पूर्व खिलाडियों डॉक्टर आर एस मान, सुखपाल बिष्ट , रोबर्ट सैमुएल, मेराजुद्दीन, गंगा चंद, गोपी, विजय राम ध्यानी, सुशांत रॉय, मोहम्मद यामीन, दीपक नाथ, शाकिर हुसैन, बासित, के सेन, नसीम, हेम चंद, स्वालीन, लियाकत, जय राम, नसीम जफर, सुभाशीष दत्ता, शफीक, जूलियस, देवाशीष, गुलजार, अचिंत चौधरी,फरहात हुसैन, अनादि बरुआ , वेद प्रकाश, प्रदीप गांगुली,वीरेंद्र, रफी अहमद, जिया उल हक़,हेनरी, रमेश और अन्य ने अपने प्रिय साथी खिलाडियों को याद किया और उनके परिवारों की खुशहाली की कामना की।
वेटरन खिलाडियों को इस बात का दुःख है कि दिल्ली और देश की फुटबाल में अब पहले वाली बात नहीं रही। देवरानी और ओपी मल्होत्रा जैसे कोच, सुनील घोष, उमेश सूद, नासिर अली, अज़ीज़ जैसे अधिकारी राजधानी की फुटबाल को बहुत कुछ देकर गए, जिसे बाद की पीढ़ी संभाल नहीं पाई। वेटरन खिलाडियों ने फैसला किया है कि वे हर माह एक दिन मिल कर अपनी ख़ुशी और गम बांटेंगे, एक दिन मिल बैठ कर भोजन करेंगे और दिल्ली की फुटबाल को फिर से उसका खोया गौरव दिलाने का प्रयास करेंगे। यह सिलसिला लगातार चल रहा है और ग्रुप लगातार मजबूत हो रहा है, जिसे सभी खिलाडी शुभ लक्षण मानते हैं।
बेशक, रीचार्जड वेटरन अपने आप में एक अद्भुत प्रयास है, जिसमें पूर्व खिलाडियों का जुड़ना लगातार जारी है। जरुरत इस बात की है कि दिल्ली साकर एसोसिएशन अपने पूर्व चैम्पियनों को यथोचित सम्मान दे, उनकी भावना को समझे और जरूरत पड़ने पर उनकी नेक सलाह का फायदा भी उठाए।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |