अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय खेलों की सफलता – विफलता का आकलन करें तो टीम खेलों में हमारे खिलाड़ी अपेक्षाकृत कमजोर नजर आते हैं। बल्कि कहना यह चाहिए कि साल दर साल टीम खेलों का ग्राफ गिर रहा है। सरसरी नजर डालें तो हॉकी, फुटबाल और क्रिकेट ही ऐसे खेल रहे हैं जिनमें अधिकाधिक कामयाब खिलाड़ी शामिल हैं। लेकिन कुछ खेल ऐसे भी हैं जिनमें भारतीय भागीदारी खानापूरी तक सीमित है। मसलन बास्केटबॉल, बेसबॉल, वॉलीबॉल, वाटरपोलो, हैंडबॉल, रग्बी आदि खेल।
टीम खेलों में हॉकी में सर्वाधिक ओलंपिक गोल्ड जीतने का रिकार्ड दर्ज है। हालंकि पिछले कुछ दशकों में भारतीय हॉकी ने निराश किया लेकिन टोक्यो ओलंपिक के बाद से प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद बंधी है। फुटबाल में भले ही वर्ल्ड कप नहीं खेले लेकिन दो एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने का करिश्मा फुटबाल टीम कर चुकी है। हालांकि यह कहानी वर्षों पुरानी है। इसी प्रकार क्रिकेट में जब तब अच्छा प्रदर्शन किया है। चूंकि क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल कर लिया गया है , इसलिए क्रिकेट में भी अच्छे परिणाम की अपेक्षा की जा सकती । एक अन्य लोकप्रिय खेल कबड्डी है , जिसमें कुछ एक सालों को छोड़ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने का सिलसिला फिलहाल बना हुआ है। लेकिन कबड्डी ओलंपिक खेल नहीं बन पाया है।
यह सही है कि बैडमिंटन, मुक्केबाजी, कुश्ती, भारोतोलन, निशानेबाजी, तीरंदाजी , एथलेटिक आदि खेलों में हमारे खिलाड़ी बेहतर कर रहे हैं लेकिन अधिकांश टीम खेलों में। कहीं नजर नहीं आते। कुछ साल पीछे चलें तो बास्केटबाल और वॉलीबॉल जैसे खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन ठीक ठाक था। लेकिन अब इन खेलों में पहले वाली बात नहीं रही।
टीम खेलों में खराब प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण यह है कि इन खेलों में प्रोत्साहन और प्रलोभन की भारी कमी है। अधिकांश बच्चे और युवा उन खेलों को चुनते हैं जिनमें व्यक्तिगत प्रदर्शन के दम पर स्टार बना जा सकता है। ऐसा टीम खेलों में प्राय कम ही होता है। दूसरे , देश में खेलों का कारोबार करने वाली संस्थाएं और संगठन टीम खेलों के लिए मैदान और कोर्ट जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पा रहीं।
हाल ही में संपन्न एशियाई खेलों में हॉकी , कबड्डी और क्रिकेट को छोड़ बाकी टीम खेलों में भारतीय प्रदर्शन बेहद खराब रहा, जिनमें फुटबाल, हैंडबॉल, रग्बी, वॉलीबॉल और बास्केटबाल आदि खेल भी शामिल हैं।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |