ओलम्पिक मेजबानी: पैरालंपिक की बैसाखी के सहारे

rubina francis 67

पेरिस ओलंपिक में हुई फजीहत के बावजूद भी देश के खेल आका-आईओए, खेल महासंघ और सरकारी तंत्र 2034 के ओलम्पिक खेलों को भारत और संभवतया गुजरात लिवा लाने के लिए दृढ़ संकल्प नजर आता है। बाकायदा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी यही चाहते हैं कि भारत को ओलम्पिक आयोजन का दावा पेश करना चाहिए। तर्क दिया जा रहा है कि ऐसा करने से देश में बेहतर माहौल बनेगा और हमारे खिलाड़ी अग्रणी खेल राष्ट्रों की उपस्थिति में अपने प्रदर्शन को सुधार पाएंगे।
कुछ पूर्व ओलम्पियनों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों और कोचों को यह प्रयास अच्छा तो लगा लेकिन ज्यादातर कहते हैं कि हमने 1951 में पहला और फिर 1982 में दूसरी बार एशियन गेम्स की मेजबान की थी तत्पश्चात 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया। लेकिन सौ साल से ओलम्पिक में भाग लेने वाले देश का प्रदर्शन कहीं से भी सुधरा हुआ नजर नहीं आता। टोक्यो ओलम्पिक में एक गोल्ड सहित सात पदक हमारा श्रेष्ठ प्रदर्शन है और पेरिस में बिना गोल्ड के छह पदक जीते। तो क्या इस प्रदर्शन के आधार पर देश के खेल आका घर पर करोड़ों रुपये फूंक कर तमाशेबाजी करना चाहते हैं, एक पूर्व ओलम्पियन यह पूछ रहा है।
लेकिन एक पक्ष है जो कि पैरालंपिक की बैसाखी के सहारे ओलम्पिक आयोजन का पक्षधर है। ओलम्पिक के फ्लॉप शो के बाद पैरा खिलाड़ियों ने सरकारी मदद पर पलने वाले खेलों की ना सिर्फ लाज बचाई अपितु यह संदेश भी दिया कि भारतीय खेलों के ठेकेदार दिव्यांग खिलाड़ियों की उपलब्धियों के दम पर ओलम्पिक आयोजन का दम भर सकते हैं। पैरा खिलाड़ियों ने पेरिस में सात गोल्ड सहित कुल 29 पदक जीते, जो कि भारत का ओलंपिक और पैरालंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हैं।
अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति द्वारा ओलम्पिक खेलों की मेजबानी ऐसे देश और शहर को दी जाती है, जो कि ओलम्पिक और पैरालंपिक की मेजबान एक साथ करने में सक्षम हो। साथ ही उस देश की ओलम्पिक हैसियत, आयोजन क्षमता और सदस्य इकाइयों की उस देश के प्रति सोच को महत्व दिया जाता है। जहां तक अपने देश की बात है तो हम सब कुछ कर सकते हैं लेकिन 40-50 खेलों में से चार-पांच ही है, जिनमें हम पदक की उम्मीद कर सकते हैं।
फिर भी यदि ओलम्पिक आयोजन का दावा पेश करना है तो दावा करने वालों को पैरालंपिक खिलाड़ियों के प्रदर्शन को आधार बनाना होगा। उनकी उपलब्धियों को पेश कर देश के कर्णधार बेझिझक दावा पेश करें। ओलम्पिक के सौ साल से भी अधिक समय में भारत ने मात्र 41 पदक जीते हैं जबकि पैरालंपिक में निम्नतम भागेदारी के बावजूद 60 पदक जीत कर शानदार रिकॉर्ड बनाया है। अर्थात पैरा खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से ही ओलंपिक आयोजन की राह निकल सकती है।

Rajendar Sajwan

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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