पाकिस्तानी जेवलिन थ्रोअर ….नदीम भले ही भारत के ओलंपिक चैंपियन, विश्व चैंपियन और एशियाई खेलों के दोहरे स्वर्ण विजेता नीरज चोपड़ा से पहले 90 मीटर का लक्ष्य छू चुका है लेकिन नीरज जैसी उपलब्धियों के लिए उसे अभी कुछ और इंतजार करना होगा। हालांकि नीरज और नदीम में खूब पटती है और दोनों एक दूसरे का सम्मान करते हैं लेकिन बात जब बात भारत -पाक की आती है तो उनकी प्रतिस्पर्धा के मायने बदल जाते हैं।
70 -80 साल पीछे चलें तो सालों साल भारत और पाकिस्तान हॉकी में बहुत बड़ी ताकत थे। आजादी से पहले हिंदू और मुस्लिम खिलाड़ी एक झंडे के नीचे खेले और चैंपियन बने। बाद के सालों में दोनों देशों के बीच श्रेष्ठता की जंग लड़ी जाती रही। लेकिन आज आलम यह है कि पाकिस्तानी हॉकी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। हाल ही में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पर दस गोल दागकर यह बता दिया कि पाकिस्तान की हॉकी बुरे दौर से गुजर रही है।
सच तो यह है कि पाकिस्तान में कुछ भी ठीक ठाक नहीं चल रहा । सरकार, अर्थव्यवस्था, भाई चारा, खेल व्यवस्था और खेल संगठन लूट की राजनीति के भरोसे दम तोड रहे हैं। जब कभी पाकिस्तानी खिलाड़ियों और उनके खेल प्रतिनिधियों से मिलना हुआ, अधिकांश नाखुश और असंतुष्ट नजर आए।
क्रिकेट विश्व कप में पाकिस्तान का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा, जिसे लेकर आम पाकिस्तानी खुद को शर्मसार महसूस कर रहा है। हर कोई अपने खिलाड़ियों , बोर्ड आकाओं और चयनकर्ताओं को कोस रहा है। हॉकी और क्रिकेट में हुई फजीहत से आम पाकिस्तानी आग उगल रहा है, जिम्मेदार लोगों से जवाब मांग रहा है। खासकर भारत द्वारा दिए गए घावों से पूरा देश कराह रहा।है।
कुछ साल पहले तक पाकिस्तान स्क्वैश में एक बड़ी ताकत था लेकिन अब भारत ने इस खेल में भी उसे पीछे धकेल दिया है। फुटबाल, कुश्ती, एथलेटिक और मुक्केबाजी में भी पाकिस्तान की फजीहत हो रही है। कुल मिलाकर पाकिस्तान किसी भी खेल में भारत से बेहतर स्थिति में नहीं है। हर खेल और हर क्षेत्र में पाकिस्तान पिछड़ रहा है। आम जनमानस और खेल प्रेमी मानते हैं कि उनके देश को भारत से सीखना चाहिए।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |