पाकिस्तान की हार पर जश्न मनाने वाली मानसिकता के मायने?

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टी 20 वर्ल्ड कप में मेजबान भारतीय टीम भले ही शर्मनाक प्रदर्शन के साथ विदा हुई लेकिन जाते जाते भारत को खुशी मनाने का मौका मिल गया। अपने परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से दस विकेट की दर्दनाक हाल झेलने वाली भारतीय टीम को घाव पर लगाने के लिए मरहम की जरूरत थी और यह मरहम पाकिस्तान की टूर्नामेंट से विदाई के साथ नसीब हुआ।

अजेय रिकार्ड के साथ सेमीफाइनल में पहुँचे पाकिस्तान को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन उसके आगे के सफर को ऑस्ट्रेलिया ने समाप्त कर दिया और खुशी मिली भारतीय क्रिकेट प्रेमियों और देशभक्तों को। है ना , हैरान करने वाली बात।

जिस दिन पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमी फाइनल खेला जाना था उस दिन पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमी अपनी टीम की जीत की दुआ मांग रहे थे तो भारत में ऑस्ट्रेलिया की जीत की कामना की जा रही थी। अंततः जैसे ही ऑस्ट्रेलिया की जीत पर मुहर लगी, पाकिस्तान में जैसे मातम छा गया और भारतीय क्रिकेट प्रेमी खुशी से झूम उठे। देश भर में एक बार फिर दीवाली जैसा उल्लास देखा गया। जम कर बम पटाखे फोड़े गए।

सवाल यह पैदा होता है कि पाकिस्तान की हार से भारत को क्या मिल गया? यदि पाकिस्तान खिताब जीत जाता तो एशियाई क्रिकेट का कद बढ़ जाता लेकिन इस प्रकार की सोच और भावना से दोनों देश कोसों दूर हैं। यही मानसिकता दोनों देशों के खेलों को पनपने नहीं दे रही। यह ना भूलें कि यह विश्व कप पाकिस्तान की रोमांचक जीत के लिए याद किया जाएगा जिसने भारत और न्यूजीलैंड जैसी ताकतवर टीमों को पछाड़ दिया। यह भी याद रखना होगा कि किसी तीसरे देश में खेले गए विश्व कप में उतरने से पहले भारतीय टीम, खिलाड़ियों और मीडिया ने बढ़ चढ़ कर दावे किए थे लेकिन हमारे खिलाड़ी गिर पड़ कर दौड़ से बाहर हुए।

क्रिकेट प्रतिद्वंद्वीता तो ऑस्ट्रेलियाऔर इंग्लैंड के बीच भी कम नहीं है । दोनों तरफ से एक दूसरे को तबाह करने जैसे दावे किए जाते हैं। बॉडी लाइन गेंदबाजी से एक दूसरे को डराते धमकाते रहे हैं और एशेज श्रृंखला में तो दुश्मनी आपने पूरे निखार पर होती है। लेकिन भारत और पाकिस्तान की खेल दुश्मनी सीमा के आर पार वाली है। जोकि क्रिकेट और हॉकीमैचों में अपने पूरे यौवन पर देखी जाती है। दोनों देशों के पूर्व चैंपियन और खेल भावना को प्रमुखता देने वाले मानते हैं कि एक दूसरे को नीचा दिखाने वाली मानसिकता बार बार घाव देती रही है। लेकिन कोई भी सुधरने का नाम नहीं लेता।

यदि बिना किसी लाग लपेट के देखा जाए तो इस बार पाकिस्तान को बेहतर स्थिति में कहा जा सकता है। वह लगभग क्रिकेट बिरादरी से अलग थलग पड़ा है। उसके घर पर कोई खेलना नहीं चाहता फिर भी उसने विश्व कप में गजब का प्रदर्शन किया है। दूसरी तरफ लाखों करोड़ों की कमाई करने वाले भारतीय खिलाड़ी हर मोर्चे पर नाकाम रहे। पाकिस्तान ने उन्हें बच्चों की तरह खिला खिला कर हराया और भारतीय खिलाड़ियों का अपने ही देशवासियों के सामने मज़ाक बना कर रख दिया। यह न भूलें की पाकिस्तान के हाथों हुई बड़ी हार के कारण ही भारतीय टीम प्रबंधन में उठा पटक हुई। सीधा सा मतलब है कि इस बार पाकिस्तान बाजी मार गया। भले ही कप नहीं जीता लेकिन मनोवैज्ञानिक जीत उसके खाते में गई। पकिस्ताम की हार पर जश्न मनाने से हमारे खिलाड़ियों की गलतियों पर पर्दा नहीं पड़ने वाला और भारतीय टीम का शर्मनाक प्रदर्शन भी रिकार्ड पुस्तिकाओं में दर्ज हो चुका है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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