भारत और इंग्लैण्ड के बीच खेला गया एजबेस्टन टेस्ट मैच दुनियाभर में खेल प्रेमियों के बीच चर्चा का बिषय बना हुआ है। जो क्रिकेट में ज्यादा रूचि नहीं लेते उन्हें भी जो रूट और बेयरस्टो की शानदार बल्लेबाजी की चर्चा करते देखा जा सकता है। जो मैच लगभग भारत की झोली से निकल चुका था और इधर भारत में अपनी टीम के स्वागत समारोह की तैयारियां चल रही थी, दो बल्लेबाजों ने टेस्ट की चौथी पारी में अभूतपूर्व प्रदर्शन कर भारतीय खेल प्रेमियों को न सिर्फ हैरान किया अपितु यह भी दिखा दिया कि क्रिकेट या किसी भी खेल में कुछ भी मुश्किल नहीं है।
दुनियाभर के क्रिकेट पंडितों को मुंह दिखाना भारी पड़ रहा है क्योंकि सभी मान चुके थे कि मेजबान इंग्लैण्ड अपने मैदान और अपने दर्शकों के सामने बाजी हार चुका का है। लेकिन वह जीत के निकला।
इंग्लैंड की हैरान करने वाली जीत के बाद बहुत सी बातें निकल कर आ रही हैं। कहा जा रहा हैं कि टॉस जीत कर पहले गेंदबाजी करने के फैसले पर जब विजयी कप्तान बेन स्टॉक्स से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी टीम चौथी पारी में लक्ष्य हासिल करने की कला सीख गई है और उनके दो दमदार बल्लेबाजों ने अपने कप्तान के कथन को सही साबित कर दिखाया।
हालांकि क्रिकेट चमत्कारों का खेल है और इस प्रकार के असम्भव लगने वाले प्रदर्शन कई अवसरों पर अलग अलग टीमों द्वारा किए जाते रहे हैं। भारतीय क्रिकेट टीम ने सुनील गावस्कर की चमत्कारी परियों से इंग्लैण्ड और वेस्टइंडीज के विरुद्ध कई जीतें दर्ज कीं। कपिल की कप्तानी में 1983 का विश्व कप जीतना और खासकर जिम्ब्बावे के विरुद्ध कप्तान द्वारा 175 रनों की पारी खेलना भी क्रिकेट पुस्तिकाओं में दर्ज है। बेशक, इंग्लैण्ड की जीत के लिए किसी भी भारतीय खिलाडी को दोष देना ठीक नहीं होगा। यदि चर्चा के लिए कुछ है तो रूट और बेयरस्टो की शानदार बल्लेबाजी और हार न मानने की ज़िद्द। और हाँ, न सिर्फ भारतीय क्रिकेट खिलाडी अपितु अन्य भारतीय खेल भी सबक ले सकते हैं।
भारत के लिए कुछ इसी तरह का प्रदर्शन टोक्यो ओलम्पिक में नीरज चोपड़ा ने किया था। नीरज की पदक जीतने की सम्भावना लगभग उतनी ही थी जितनी उम्मीद इंग्लैण्ड से चौथी पारी में की जा रही थी। उस समय जब बड़े बड़े विशेषज्ञ भारत को विजेता मान चुके थे मैच का सम्भावित परिणाम बदलना कोई चमत्कार लग रहा था। लेकिन कभी कभार ऐसा बहुत कुछ हो जाता है जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।
यदि इंग्लैंड की जीत और दो चैंपियन बल्लेबाजों के प्रदर्शन को भारतीय खेलों के संदर्भ में देखें तो इंग्लैण्ड की जीत सबक सिखाने वाली रही है। हम चाहें तो अपने ओलम्पिक खेलों से जुड़े खिलाडियों को रुट और बेयरस्टो के उदाहरण देकर सिखा सकते हैं। भारतीय खिलाडी सीख सकते हैं कि इरादा पक्का हो और हिम्मत हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं हो सकता। जहां तक टीम इंडिया कीबात है तो उसने मैच खत्म होने से पहले ही खुद को विजेता मान लिया था। शायद इसको ही अत्यधिक आत्मविश्वास कहते हैं,जिसकी कीमत भारी पड़ जाती है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |