अंतरराष्ट्रीय ओलंम्पिक समिति ने आईओए के दुराचरण को देखते हुए शीघ्र चुनाव कराने का अल्टीमेटम जारी किया है वरना आईओए पर प्रतिबंध लग सकता है।
भारतीय खेल संघों और उनकी शीर्ष संस्था भारतीय ओलम्पिक समिति में जो कुछ चल रहा है उसे देखते हुए यह कहना कि भारत खेल महाशक्ति बनने की तरफ बढ़ रहा है, कदापि ठीक नहीं होगा। रोज ही हमारे खेल प्रशासकों और खेल अधिकारीयों की शर्मनाक हरकतें सामने आ रही हैं। आईओए के अधिकारी पूरी तरह नंगे हो चुके हैं। किसी पर धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोप लग रहे हैं तो कुछ एक महिला खिलाडियों के साथ व्यविचार के आरोपी हैं। खबर आती है कि एक अधिकारी महिला खिलाडियों और कोचों के साथ रंगरलियां मना रहा है तो दूसरा विदेशों में शराब खोरी करता पकड़ा जाता है। अगले ही दिन पलट वार होता है और एक बड़े अधिकारी को ढहा दिया जाता है, जैसा कि हाल फिलहाल हुआ है।
हालाँकि आईओए और खेल संघों के शीर्ष अधिकारीयों के मामले कोर्ट कचहरी में चल रहे हैं लेकिन आज़ादी के 75 सालों में भारतीय खेलों ने अपयश कमाने का जो पहाड़ खड़ा किया है उसे ढहा पाना शायद ही सम्भव हो पाए। खेल जानकार, खिलाडी, अधिकारी और पूर्व ओलम्पियन हैरान हैं कि आखिर हमारे खेल आका कब तक अपने कुकर्मों से देश के खेलों को बर्बाद करते रहेंगे। कुछ पूर्व खिलाडियों के अनुसार जिस घर का मुखिया और बड़े ही शुद्ध आचरण वाले नहीं होंगे उसका भला कैसे हो सकता है? कैसे भारतीय खेल तरक्की कर पाएंगे?
बहुत कम खेल फेडरेशन हैं जिनमें सब कुछ ठीक ठाक च रहा है। किसी के अध्यक्ष पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लग रहे हैं तो किसी का सचिव शराबखोरी और महिला कर्मियों के साथ यौनाचार का आरोपी है। ज्यादातर के खातों में भारी गड़बड़ चल रही है। हर दूसरे दिन और दूसरे सप्ताह खबर आ रही है कि फलां खेल का कोच, मशाजर या कोई फेडरेशन अधिकारी महिला खिलाडियों के साथ दुर्व्यवहार करता पकड़ा गया। हाल ही में खेल मंत्रालय द्वारा कुछ टीमों को विदेशों से इसलिए वापस बुलाना पड़ा क्योंकि टीम के साथ गया कोच महिला खिलाडियों से दुर्व्यवहार कर रहा था।
स्पोर्ट्स कोड की अनदेखी करने वाले खेल संघों पर सरकार द्वारा सख्त कार्यवाही की जा रही है। कुछ एक की मान्यता भी रद्द की जा रही है लेकिन सवाल यह पैदा होता है की देशवासियों के खून पसीने की कमाई पर मौज करने वाले हमारे अधिकारी कब सुधरेंगे? उनके हाथों महिला खिलाडियों का कब तक शोषण होता रहेगा? वे देश विदेश में देश का नाम क्यों खराब कर रहे हैं और उन्हें कब तक बचाया जाता रहेगा?
खेल संघों और आईओए में भ्र्ष्टाचार और व्यविचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ज्यादातर मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। लेकिन कोर्ट में आखिर किस किस का निपटारा होगा? कुछ पूर्व खिलाडियों, अधिकारीयों और न्यायविदों के अनुसार एक बार तमाम खेल संघों और उनकी सदस्य इकाइयों को भंग कर दिया जाना चाहिए ताकि नये सिरे से साफ़ सुथरी छवि वालों को खेलों की बागडोर सौंपी जा सके, जिसकी संभावना बहुत कम है। इसलिए क्योंकि हर साख पर उल्लू बैठा है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |